नयी दिल्ली, 10 सितंबर राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने चार साल की एक बच्ची का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में एक व्यक्ति को करीब नौ साल बाद एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रीति परेवा ने 45 वर्षीय व्यक्ति को गलत तरीके से बंधक बनाने और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 12 (यौन उत्पीड़न) के तहत दोषी ठहराया।
सजा की अवधि पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक सरिता रानी ने कहा कि दोषी ने एक जघन्य अपराध किया है इसलिए उसे कोई रियायत नहीं दी जानी चाहिए।
मामले के तथ्यों पर गौर करते हुए अदालत ने हाल ही में दिए आदेश में कहा, "वर्तमान मामले में छह मार्च, 2015 को दोपहर लगभग डेढ़ बजे बजे दोषी ने बच्ची का यौन उत्पीड़न किया। इसके अलावा दोषी ने पीड़िता को गलत तरीके से बंधक भी बनाया।
अदालत ने उसे यौन उत्पीड़न के लिए एक वर्ष के कठोर कारावास (आरआई) और गलत तरीके से बंधक बनाने के जुर्म में छह महीने के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने कहा कि उसने मामले के संपूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों, विशेषकर पीड़िता की कम उम्र, अपराध की प्रकृति, दोषी की खराब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया कि वह पिछले नौ वर्षों से मुकदमे का सामना कर रहा था।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)