नयी दिल्ली, 15 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कोविड-19 से हुई मौतों के लिए मुआवजा राशि के वितरण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगायी और कहा कि राज्य सरकार को इसे लेकर प्रत्येक जिले के सभी स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देना चाहिए।
कोविड-19 हुई मौतों के लिए विकसित एक पोर्टल के बारे में व्यापक प्रचार नहीं करने को लेकर पिछली सुनवायी में भी शीर्ष अदालत ने राज्यों को फटकार लगाई थी।
पोर्टल के प्रचार को लेकर नाखुशी जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि पीड़ितों को उस पोर्टल के बारे में जानकारी उपलब्ध करायी जानी चाहिए ताकि वे मुआवजा प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकें।
पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा, '' आप अन्य राज्यों की तरह विज्ञापन क्यों नहीं देते, जिसमें बताया गया हो कि यह पोर्टल है, यह शिकायत निवारण समिति है और आप संपर्क कर सकते हैं। उम्मीद की जाती है कि आप प्रत्येक जिले में स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देंगे, जिसमें पोर्टल और शिकायत निवारण समिति आदि का विवरण हो। हमें किसी अखबार में कोई विज्ञापन नहीं नजर आया।''
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील अरधंदुमौली कुमार प्रसाद ने पीठ से कहा कि कुल 25,933 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 20,060 को भुगतान किया गया है।
पीठ ने प्रसाद से स्थानीय अखबारों में दिए गए विज्ञापन के बारे में पूछा और कहा कि प्रसाद ने अवगत कराया है कि विज्ञापन दिए गए, जिनमें एक फोन नंबर दिया गया कि ये तहसीलदार का नंबर है।
पीठ ने कहा, '' कौन टोल फ्री नंबर को उठाता है। हम आपसे कहते हैं कि अभी कॉल करिए और देखिये। आप अभी फोन करिए। तहसीलदार को फोन करिए।''
इसके बाद अदालत ने कहा कि वे एक आदेश पारित करेंगे।
इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने पीठ को सूचित किया कि पिछले सोमवार तक 85,279 आवेदन प्राप्त हुए। शीर्ष अदालत ने पाया कि 85,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से 1,658 दावों को अनुमति दी गई। पीठ ने इस संख्या को लेकर नाखुशी जतायी और महाराष्ट्र सरकार को बुधवार तक प्राप्त सभी आवेदकों को 50,000 रुपये की मुआवजा राशि 10 दिनों के भीतर भुगतान करने के निर्देश दिए।
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