नयी दिल्ली, आठ जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना के तहत खरीदा गया खाद्यान्न कुप्रबंधन के कारण बर्बाद हो जाने के आरोप संबंधी एक याचिका पर बृहस्पतिवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब तलब किया।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘ कमोबेश, खाद्यान्न का गरीबों एवं जरूरतमंदों के बीच अधिकतम वितरण एवं न्यूनतम बर्बादी होनी चाहिए। ’’ इसी के साथ पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किये।
संपूर्ण नामक एक एनजीओ ने अदालत से इस योजना के तहत खरीदे गये संसाधनों के वितरण की उपयुक्त एवं प्रभावी प्रणाली के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया ताकि खाद्यान्न एवं किट, जो सार्वजनिक राशि से बाजार मूल्य पर खरीदे गये थे, लेकिन अबतक उनका गैर पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली से बाहर के जरूरतमंद) लोगों के बीच वितरण नहीं किया जा सका, वे बर्बाद नहीं हों। एनजीओ का प्रतिनिधित्व वकील बेरीवाल ने किया।
एनजीओ ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार ने ‘‘बिना किसी तार्किक आंकड़े एवं विश्लेषण के भारी मात्रा में चीजें खरीद लीं’’ और इस प्रकार, ‘‘इस योजना के तहत खरीदी गयी चीजों का एक बड़ा हिस्सा अब भी दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर पड़ा है, एवं दिनोंदिन बर्बाद हो रहा है।’’
उसने याचिका में यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने समापन तिथि का सत्यापन किये बिना ही चीजें खरीद लीं और / या ऐसी चीजें खरीद लीं जिसकी समापन तिथि बिल्कुल करीब थीं।
मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।
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