अहमदाबाद, दो फरवरी गुजरात उच्च न्यायालय ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के निर्माण कार्य के लिए एक झुग्गी-बस्ती से निकाले गए परिवारों के पुनर्वास का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है, लेकिन उसने कहा कि ये लोग राज्य प्राधिकारियों से संपर्क कर सकते है, जिन्हें ‘‘एक सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण’’ के साथ उनके दावे पर विचार करना चाहिए।
अदालत ने बुलेट ट्रेन परियोजना के निर्माण के लिए अहमदाबाद के साबरमती इलाके में एक रेलवे पुल के निकट एक झुग्गी बस्ती से निकाले गए 68 से 70 परिवारों के पुनर्वास का अनुरोध करने वाली बांधकाम मजदूर संगठन की जनहित याचिका पर मंगलवार को आदेश पारित किया।
बहरहाल, अदालत ने परियोजना का निर्माण कार्य कर रहे नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड(एनएचएसआरसी) को दिए गए क्षेत्र में रह रहे कुछ परिवारों के पुनर्वास का आदेश दिया।
याचिका में दावा किया गया था कि ‘जेपी नी चाली’ झुग्गी बस्ती को राज्य एवं रेलवे प्राधिकारियों ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अवैध तरीके से गिरा दिया और उन्हें सरकारी नीतियों के अनुसार वैकल्पिक निवास भी मुहैया नहीं कराया गया।
याचिका में अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि प्राधिकारियों को और लोगों को निष्कासित करने रोका जाए और लोगों को तत्काल राहत दी जाए। याचिका में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुनर्वास का भी अनुरोध किया गया था।
राज्य सरकार ने अदालत के समक्ष अभिवेदन दिया था कि इस झुग्गी-झोपड़ी के निवासी उसकी पुनर्वास नीति के तहत लाभ के हकदार नहीं थे और उन्हें परियोजना से प्रभावित व्यक्ति नहीं माना जा सकता।
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