नयी दिल्ली, 25 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शादी के बहाने एक महिला पर यौन हमला करने और उसका गर्भपात कराने के आरोपी एक व्यक्ति को यह कहते हुए अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया कि उसने कभी शादी की नीयत नहीं दिखायी और महिला को गलतफहमी में रखा।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वैसे तो आरोपी के वकील ने कहा है कि आपसी मिजाज में अंतर के चलते उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया लेकिन तथ्य यह बताते हैं कि उसने शादी की दिशा में कभी कदम उठाने की चेष्टा ही नहीं की।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने कहा, ‘‘ बल्कि तथ्य तो यह दर्शाते हैं कि वह आपसी संबंध खराब होने तक शादी से कन्नी काटता रहा, उसने उसका गर्भपात करा दिया। उसने हमेशा पीड़िता को इस गलतफहमी में रखा कि वह उससे शादी करेगा जबकि उसने उससे ब्याह करने की कभी नीयत नहीं दिखायी। ’’
न्यायमूर्ति खन्ना ने 22 नवंबर को जारी अपने आदेश में कहा, ‘‘ इस व्यक्ति के विरूद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया गया है, ऐसे में याचिकाकर्ता (आरोपी) को अग्रिम जमानत देने का मामला ही नहीं बनता है। यह याचिका खारिज की जाती है।’’
महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि इस व्यक्ति ने शादी के बहाने उसका शारीरिक शोषण किया और जब उसने ऐतराज किया तो उसने वादा किया कि वह उससे शादी करेगा।
शिकायत में कहा गया है, ‘‘ इस वादे के साथ इस व्यक्ति ने कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाये जिससे वह गर्भवती हो गयी।’’ शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसने (आरोपी) उसे कुछ गोलियां दीं जिससे उसका गर्भपात हो गया।
अतिरिक्त सरकारी वकील अमित साहनी ने आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया और कहा कि पीड़िता ने उसे एक सीडी सौंपी है जिसमें फोन पर आरोपी द्वारा दी गयी धमकियों की रिकार्डिंग है। उन्होंने कहा कि चूंकि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा था, इसलिए उसके विरूद्ध गैर जमानत वारंट जारी किये गये।
उस व्यक्ति ने अग्रिम जमानत के लिए एक निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया, जिसके बाद वह मामला उच्च न्यायालय के समक्ष आया।
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