कोरोना संकट ने समाज में तमाम तरह के नजरिये को भी बदला है : मोदी
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नयी दिल्ली, 26 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोरोना संकट ने पुलिसकर्मियों से लेकर सामान्य मजदूरों तक विभिन्न वर्गों और कार्यों के प्रति समाज में लोगों के सामान्य नजरिये को बदलने का भी अवसर प्रदान किया है।

मोदी ने रविवार को अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि कोरोना महामारी ने विभिन्न विषयों पर समाज के सामान्य नजरिये को बदलने और परिस्थितियों के बारे में नये तरीके से सोचने का मौका दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना संकट के बीच हमें अपने जीवन के बारे में और समाज को देखने के नजरिये के बारे में नये तरीके से सोचने का मौका मिला है।’’

मोदी ने कहा कि इतना ही नहीं समाज के नजरिये में भी बदलाव आया है। ऑटो चालक हों, दुकानों में काम करने वाले कामगार हों, मंडी के मजदूर हों या सफाई कर्मी, इन तमाम लोगों की अहमियत को हम सब संकट की इस घड़ी में महसूस कर रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब लोग इन सभी लोगों के बारे में सोशल मीडिया सहित अन्य मंचों पर इनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुये लिख कर अपने भाव व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा है कि शहरों में लोग सफाई कर्मियों पर पुष्प वर्ष कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि पहले इनकी सेवाओं को सामान्य मानकर इस प्रकार से भाव प्रकट नहीं किये जाते थे लेकिन संकट काल में इनकी सेवाओं से अभिभूत होकर ही समाज के नजरिये में बदलाव आया है।

मोदी ने देश भर में पुलिस कर्मियों के प्रति भी इस दौरान लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आने का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस व्यवस्था को लेकर भी आम सोच बदली है। पहले पुलिस के प्रति लोगों की सामान्य तौर पर नकारात्मक सोच थी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज पुलिस हर किसी की मदद के लिये आगे आ रही है। इससे पुलिस का मानवीय और संवेदनशील पक्ष उभरा है। इस कारण से हमें पुलिस के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने का मौका मिला है।’’

उन्होंने कहा कि ये घटनायें आने वाले समय में समाज में सकारात्मक बदलाव लायेंगी। प्रधानमंत्री ने आगाह भी किया कि ‘‘इन घटनाओं को हमें नकारात्मकता के रंग से नहीं रंगना है।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय परंपरा में समाज में परस्पर रूप से एक दूसरे की मदद के भाव को प्रमुखता देने का जिक्र करते हुये कहा कि ‘‘जो मेरा नहीं है, जिस पर मेरा हक नहीं हैं, उसे अपने पास रखना, किसी से छीनने की श्रेणी में आता है और यह विकृति है।’’

उन्होंने कहा कि इससे ऊपर उठकर जब कोई अपनी जरूरत की वस्तु किसी दूसरे को दे देता है, वह संस्कृति है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी संस्कृति के इस भाव से प्रेरित होकर ही जरूरतमंद देशों को संकट की इस घड़ी में दवा एवं अन्य सामग्री मुहैया करायी है।

मोदी ने कहा कि संकट काल, कसौटी का काल होता है जब इन गुणों का परीक्षण होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम उन देशों की मांग पर दवायें और जरूरी सामान नहीं देते तो कोई हमें दोष नहीं देता क्योंकि हमारी जिम्मेदारी पहले अपनी जरूरत पूरी करने की है। लेकिन, भारत ने मुसीबत में अपनी रक्षा करते हुये दूसरों की भी रक्षा करने की अपनी संस्कृति के अनुरूप यह फैसला किया और दुनिया भर से आ रही मानवता की रक्षा की पुकार पर यह काम करके दिखाया।’’

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