How To Download Shree Ramcharitmanas PDF Free Online: गीता प्रेस की 'श्रीरामचरितमानस' ऑनलाइन कर सकेंगे डाउनलोड, जानें प्रक्रिया
Ramcharitmanas Demand Grows (Photo Credits: PTI)

Gita Press Shree Ramcharitmanas PDF Download: अयोध्या में श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा की तारीख की घोषणा के बाद से ही यहां के प्रसिद्ध गीता प्रेस को रामचरितमानस की मांग को पूरा करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि त्रिपाठी ने कहा कि मांग को ध्यान में रखते हुए प्रेस रामचरितमानस को वेबसाइट पर अपलोड करेगा जिसे 16 जनवरी से मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है।

त्रिपाठी ने कहा,"यह ध्यान में रखते हुए कि हम 15 ओं में किताबें प्रकाशित करते हैं और हमारे साथ 2,500 से अधिक पुस्तक वितरक जुड़े हुए हैं, हमें उनकी मांगों को भी ध्यान में रखना होगा क्योंकि उनकी आजीविका इस पर निर्भर है।’’

ऐसे करें डाउनलोड 

उन्होंने कहा, "हम रामचरितमानस को गीता प्रेस की वेबसाइट पर अपलोड कर रहे हैं और मंगलवार से यह मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध होगा। हम 15 दिनों के लिए यह सेवा प्रदान करेंगे, जिसे 50 हजार लोग डाउनलोड कर सकेंगे।''

मांग बढ़ने पर उन्होंने कहा, ''हम इसकी क्षमता बढ़ाएंगे, जिससे एक लाख लोग एक साथ रामचरितमानस डाउनलोड कर सकेंगे। इस सेवा अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है।''

त्रिपाठी ने बताया कि जब से अयोध्या में राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह की तारीख (22 जनवरी) की घोषणा हुई है, रामचरितमानस की मांग बढ़ गई है और इसकी आपूर्ति का दबाव बढ़ गया है। उनका कहना था कि लोग इतने उत्साहित हैं कि बड़े पैमाने पर रामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ कराने पर विचार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, "अब, अगर हम इसकी तुलना पिछले साल से करें, तो हम औसतन लगभग 75,000 किताबें छापते और वितरित करते थे। हालांकि, सीमित जगह के कारण, हम इस साल छपाई और वितरण की मांग को पूरा करने में असमर्थ हैं।"

उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से, हमारे पास अचानक रामचरितमानस की दो-चार लाख प्रतियां छापने और उपलब्ध कराने की तैयारी नहीं है। पिछले महीने से, हम रामचरितमानस की एक लाख प्रतियां उपलब्ध कराने में कामयाब रहे हैं। इसके बाद भी मांग पूरी नहीं हो रही है और हमारे पास पर्याप्त स्टॉक नहीं है। कई जगहों पर हमें विनम्रतापूर्वक अनुरोध करना पड़ता है कि हमारे पास स्टॉक उपलब्ध नहीं है।''

उन्होंने बताया, ''हाल में, हमें जयपुर से 50,000 रामचरितमानस की मांग की गयी।'' उन्होंने कहा, ''भागलपुर से 10,000 प्रतियों की मांग आई, जिसे हमें अफसोस के साथ अस्वीकार करना पड़ा। पूरे देश में यही स्थिति है।''

उन्होंने कहा कि गीता प्रेस ने अपनी स्थापना के बाद से 95 करोड़ से अधिक की किताबें प्रकाशित की हैं और प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रेस पर किताबें प्रकाशित करने का दबाव और भी बढ़ जाएगा।

उन्होंने कहा कि जब प्राण प्रतिष्ठा के बाद बड़ी संख्या में लोग अयोध्या आएंगे, तो वे रामचरितमानस को प्रसाद के रूप में अपने घर ले जाने के बारे में सोच सकते हैं।

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