आपके खाने में मौजूद जीवाणु कैंसर के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा को कर सकते हैं बाधित
आपके खाने में मौजूद रहने वाले जीवाणु आपके कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं. कुछ जीवाणु जहां आपके शरीर को कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं वहीं अन्य ट्यूमर को विकसित होने और बढ़ने में मदद करते हैं.
एरिजोना, 2 फरवरी : आपके खाने में मौजूद रहने वाले जीवाणु आपके कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं. कुछ जीवाणु जहां आपके शरीर को कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं वहीं अन्य ट्यूमर को विकसित होने और बढ़ने में मदद करते हैं. आंत के जीवाणु आपकी कोशिकाओं के व्यवहार को बदलकर आपके कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं. कई कैंसर-सुरक्षात्मक सूक्ष्मजीव कोशिकाओं के सामान्य, सहयोगात्मक व्यवहार का समर्थन करते हैं. वहीं, कैंसर पैदा करने वाले सूक्ष्म जीव कोशिकीय सहयोग को कमजोर करते हैं और प्रक्रिया में कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं. हम विकासवादी जीवविज्ञानी हैं जो अध्ययन करते हैं कि मानव शरीर के अंदर सहयोग और संघर्ष कैसे होता है, जिसमें यह देखना भी शामिल है कि शरीर का शोषण करने के लिए कैंसर कैसे विकसित हो सकता है.
हमारी व्यवस्थित समीक्षा इस बात की जांच करती है कि कैसे आहार और जीवाणु आपके शरीर की कोशिकाओं के एक दूसरे के साथ संवाद करने के तरीकों को प्रभावित करते हैं और आपके कैंसर के जोखिम को बढ़ाते या घटाते हैं. प्रत्येक मानव शरीर बहुकोशिकीय सहयोग की एक रचना है. हमें व्यवहार्य बहुकोशिकीय जीव बनाने के लिए तीस हजार अरब कोशिकाएं एक दूसरे के साथ सहयोग और समन्वय करती हैं. काम के वास्ते बहुकोशिकीय सहयोग के लिए, कोशिकाओं को सामूहिक व्यवहारों में संलग्न होना चाहिए. इनमें नियंत्रित कोशिका विभाजन, उचित कोशिका मृत्यु, संसाधन साझा करना, श्रम विभाजन और बाह्यकोशिका की सुरक्षा शामिल हैं. बहुकोशिकीय सहयोग वह है जो शरीर को प्रभावी ढंग से कार्य करने की अनुमति देता है. यदि अनुवांशिक उत्परिवर्तन इन उचित व्यवहारों में हस्तक्षेप करते हैं तो वे कोशिकीय सहयोग के टूटने और कैंसर के उभरने का कारण बन सकते हैं. यह भी पढ़ें : नपुंसकता की समस्या को दूर करने का कारगर इलाज है यह प्याज, रोमांस बढ़ाने के लिए जरूर करें इसका सेवन
कैंसर कोशिकाओं को कोशिकीय धोखेबाज माना जा सकता है क्योंकि वे सहयोगी व्यवहार के नियमों का पालन नहीं करती हैं. वे अनियंत्रित रूप से उत्परिवर्तित होती हैं, कोशिका मृत्यु (नष्ट होने) से बचते हैं और अन्य कोशिकाओं की कीमत पर अत्यधिक संसाधन लेते हैं. जैसे ही ये धोखेबाज कोशिकाएं अपने जैसी दूसरी कोशिकाओं को बनाती हैं शरीर में कैंसर बढ़ने लगता है.
कैंसर मूल रूप से एक शारीरिक संरचना में कई कोशिकाओं के एक साथ रहने की समस्या है. यह काफी कुछ बहुकोशिकीय जीवन की उत्पत्ति के समय से ही है. इसका मतलब यह है कि कैंसर कोशिकाओं को नियंत्रण में रखने में मदद करने के लिए कैंसर दमन तंत्र सैकड़ों लाखों वर्षों से विकसित हो रहा है. कोशिकाएं उत्परिवर्तन के लिए स्वयं की निगरानी करती हैं और जब आवश्यक हो तो कोशिका मृत्यु को प्रेरित करती हैं, जिसे ‘एपोप्टोसिस’ भी कहा जाता है. कोशिकाएं असामान्य व्यवहार के प्रमाण के लिए अपने पड़ोसियों (कोशिकाओं) की निगरानी भी करती हैं, ‘एपोप्टोसिस’ को प्रेरित करने के लिए असामान्य कोशिकाओं को संकेत भेजती हैं. इसके अलावा, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए ऊतकों की निगरानी करती है.
जो कोशिकाएं पहचाने जाने से बचने में सक्षम हैं, एपोप्टोसिस से बचती हैं और अपने जैसी दूसरी कोशिकाओं का निर्माण तेजी से करती हैं उन्हें सामान्य रूप से व्यवहार करने वाली कोशिकाओं पर शरीर के भीतर एक विकासवादी लाभ होता है. ‘दैहिक विकास’ कहलाने वाली शरीर के भीतर की यह प्रक्रिया कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और लोगों को बीमार करने के लिए प्रेरित करती है. शरीर की कोशिकाओं के एक दूसरे से संपर्क करने के तरीकों को बदलकर सूक्ष्मजीव कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं. कुछ सूक्ष्म जीव आंत में एक स्वस्थ वातावरण बनाए रखने, सूजन और डीएनए क्षति को कम करने और यहां तक कि ट्यूमर के विकास को सीधे सीमित करके कैंसर से बचा सकते हैं. लैक्टोबैसिलस पेंटोसस, लैक्टोबैसिलस गैसेरी और बिफीडोबैक्टीरियम बिफिडम जैसे कैंसर-सुरक्षात्मक जीवाणु पर्यावरण और विभिन्न खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं, और आंत में रह सकते हैं. ये जीवाणु कोशिकाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देते हैं और शरीर की कैंसर सुरक्षा को मजबूत करके कोशिकाओं को धोखा देने के कार्य को सीमित करते हैं.
अन्य जीवाणु स्वस्थ कोशिकाओं में उत्परिवर्तन उत्प्रेरण करके कैंसर को बढ़ावा दे सकते हैं जो ‘कोशिकीय धोखेबाजों’ के उभरने और सहयोगी कोशिकाओं को मात देने की अधिक संभावना बनाते हैं. ये विषाक्त पदार्थों को छोड़ सकते हैं जो डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं, जीन की अभिव्यक्ति को बदलते हैं और ट्यूमर (कैंसर) कोशिकाओं के प्रसार को बढ़ाते हैं. आप जो खाते हैं वह आपके शरीर के अंदर कैंसर-उत्प्रेरण और कैंसर-रोकथाम करने वाले जीवाणुओं की मात्रा निर्धारित करता है, हम मानते हैं कि जिन जीवाणुओं का हम उपभोग करते हैं और बढ़ावा देते हैं वे स्वस्थ आहार का एक महत्वपूर्ण घटक हैं. लाभकारी सूक्ष्म जीव आमतौर पर किण्वित और पादप पर आधारित आहार में पाए जाते हैं, जिसमें सब्जियां, फल, दही और साबुत अनाज जैसे खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं. इन खाद्य पदार्थों में उच्च पोषण होता है और इसमें सूक्ष्म जीव होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली की कैंसर से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं और समग्र सूजन को कम करते हैं.
उच्च-फाइबर खाद्य पदार्थ इस अर्थ में प्रीबायोटिक हैं कि वे ऐसे संसाधन प्रदान करते हैं जो लाभकारी जीवाणुओं को पनपने में मदद करते हैं और बाद में कोशिकाओं के लिए लाभ प्रदान करते हैं. कैंसर से लड़ने वाले कई जीवाणु किण्वित और उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों में प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं. इसके विपरीत, अत्यधिक संसाधित और मांस-आधारित आहार में हानिकारक सूक्ष्म जीव पाए जा सकते हैं. जीवाणु कैंसर को रोकने के लिए शरीर की कोशिकाओं के सहयोग को बढ़ा सकते हैं या बाधित कर सकते हैं. हमारा मानना है कि हमारी कोशिकाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने वाले जीवाणुओं को उद्देश्यपूर्ण ढंग से विकसित करने से कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है.