देश की खबरें | भारत-चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य वार्ता 17 जुलाई को होगी

नयी दिल्ली, 15 जुलाई पूर्वी लद्दाख में सीमा पर मौजूद गतिरोध को दूर करने के लिये भारत और चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य वार्ता 17 जुलाई को क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के इस ओर (भारतीय क्षेत्र में) होगी। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

भारत पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की शीघ्र वापसी पर जोर दे रहा है और उसका स्पष्ट रूप से कहना है कि समग्र द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए सीमा पर शांति व स्थिरता पूर्व शर्त है।

एक सूत्र ने कहा, “पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों को हटाये जाने के लिए वार्ता जारी रखने के तहत, 16वें दौर की वार्ता 17 जुलाई को भारतीय क्षेत्र में चुशुल-मोल्डो बैठक स्थल पर होगी।”

भारतीय थलसेना और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच पिछले दौर की वार्ता 11 मार्च को हुई थी।

वार्ता के आगामी दौर में भारतीय पक्ष द्वारा डेपसांग बुलगे और डेमचोक में मुद्दों के समाधान की मांग के साथ ही टकराव वाले शेष सभी स्थानों से जल्द से जल्द सैनिकों को पीछे हटाने के लिए दबाव बनाए जाने की उम्मीद है।

पूर्वी लद्दाख से जुड़े विवाद का मुद्दा पिछले हफ्ते विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच बाली में हुई बातचीत में भी प्रमुखता से उठा था।

जी20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन से इतर बाली में एक घंटे की बैठक में जयशंकर ने वांग को पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान की आवश्यकता से अवगत कराया था।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “टकराव वाले कुछ स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने का जिक्र करते हुए, विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए शेष सभी क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को पूरा करने में तेजी लाने की आवश्यकता को दोहराया।”

पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध पांच मई, 2020 को भारत और चीन के सैनिकों के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प होने के बाद शुरू हुआ था।

दोनों पक्षों ने इस इलाके में अपने सैनिकों व हथियारों की तैनाती काफी बढ़ा दी थी।

कई दौर की राजनयिक व सैन्य वार्ता के फलस्वरूप पिछले साल दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तरी व दक्षिणी किनारों तथा गोगरा इलाके से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी।

संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्र में एलएसी पर अब भी दोनों पक्षों के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।

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