ठाणे, 18 अक्टूबर महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने एक महिला को वेश्यावृत्ति में धकेलने के तीन आरोपियों को गवाही में विश्वसनीयता के अभाव का हवाला देते हुए बरी कर दिया।
विशेष न्यायाधीश डी एस देशमुख ने 30 सितंबर को आदेश पारित किया और आरोपियों को बरी कर दिया।
आरोपियों के खिलाफ अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों का सरंक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
मामले के विवरण के अनुसार सौम्यजीत नरेंद्र सिंह (35), नजमा सौम्यजीत सिंह (39) और इस्माइल रशीद अली मंडल (46) पर एक महिला को वेश्यावृत्ति में धकेलने का आरोप था। उनके खिलाफ सितंबर 2014 में छापेमारी के बाद मामला दर्ज किया गया था।
न्यायाधीश देशमुख ने कहा, "अभियोजन पक्ष का आरोप कि आरोपी ने पीड़िता को वेश्यावृत्ति में धकेला था, मनगढ़ंत प्रतीत होता है। पीड़िता ने खुद यह स्वीकार किया कि उसे उस समय अपनी उम्र के बारे में पता नहीं था और उसने अवैध काम के लिए भेजे जाने के बारे में असंगत गवाही दी।
उन्होंने बताया कि पीड़िता की गवाही में विश्वसनीयता का अभाव है।
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि आरोपियों ने पीड़िता को वेश्यावृत्ति में धकेला था या उन्होंने उसके शोषण से लाभ कमाया था। इसलिए अदालत ने तीनों को बरी कर दिया।
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