मुंबई, 2 जुलाई : शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे को 'शिवसेना नेता' के पद से हटा दिया. यह कार्रवाई ऐसे समय की गई है जब शिंदे ने 10 दिन पहले ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी जिसके चलते महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी. एक दिन पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले शिंदे को लिखे एक पत्र में ठाकरे ने उन पर "पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल" होने का आरोप लगाया. पत्र में कहा गया है कि शिंदे ने "स्वेच्छा से" पार्टी की सदस्यता छोड़ दी है, इसलिए "शिवसेना पार्टी अध्यक्ष के रूप में मुझे प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मैं आपको पार्टी संगठन में शिवसेना नेता के पद से हटाता हूं.’’
यह पत्र 30 जून का है, जिस दिन शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने वाले ठाकरे ने 29 जून को मुख्यमंत्री पद से तब इस्तीफा दे दिया था जब उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा दिए गए शक्ति परीक्षण के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. शिवसेना के 55 में से 39 विधायक शिंदे के खेमे का हिस्सा थे, यह स्पष्ट था कि सरकार अपना बहुमत खो चुकी थी. यह भी पढ़ें : Mohammed Zubair: पटियाला हाउस कोर्ट में मोहम्मद जुबैर की पेशी, धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप
शिवसेना ने पहले 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी और शिंदे को विधानसभा में पार्टी के नेता के पद से हटा दिया था. दूसरी ओर, शिंदे गुट ने दावा किया कि उनके पास बहुमत होने के कारण विधानसभा में असली शिवसेना उनका समूह है. वहीं, उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उन 15 बागी विधायकों को विधानसभा से निलंबित किए जाने का अनुरोध करने वाली शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की याचिका पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगा.