Sharad Yadav Passes Away: तेजस्वी यादव, सुशील मोदी ने शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया

बिहार के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने बृहस्पतिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो संदेश साझा किया है.

तेजस्वी यादव (आरजेडी नेता)

पटना, 12 जनवरी : बिहार के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने बृहस्पतिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव (Sharad Yadav) के निधन पर शोक व्यक्त किया. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो संदेश साझा किया है. साल 2022 में शरद यादव ने अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का राजद में विलय कर दिया था. उपमुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, “मंडल मसीहा, राजद के वरिष्ठ नेता, महान समाजवादी नेता मेरे अभिभावक आदरणीय शरद यादव जी के असामयिक निधन की खबर से मर्माहत हूँ. कुछ कह पाने में असमर्थ हूँ. माता जी और भाई शांतनु से वार्ता हुई. दुःख की इस घड़ी में संपूर्ण समाजवादी परिवार परिजनों के साथ है.”

उन्होंने लिखा, "आदरणीय अभिभावक शरद यादव जी को अश्रुपूर्ण भावभीनी श्रद्धांजलि. शत्-शत् नमन." उल्लेखनीय है कि शरद यादव ने बिहार के मधेपुरा से राजद के टिकट पर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. वह चार बार इस सीट से चुनाव जीत चुके थे. एक साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में उनकी बेटी सुभाषिनी यादव बिहारगंज से राजद की उम्मीदवार थीं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट किया, "शरद यादव मेरे राजनीतिक संरक्षक थे. उन्होंने उपमुख्यमंत्री के रूप में मेरी नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बिहार उनके योगदान को कभी नहीं भूलेगा." यह भी पढ़ें : Joshimath Sinking: जोशीमठ से औली शिफ्ट हो सकती है सेना, फॉरवर्ड पोस्ट पहुंचने में परेशानी नहीं- सेनाध्यक्ष

शरद यादव काफी समय तक जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता रहे. कहा जाता है कि यादव 2013 में भाजपा के साथ संबंध तोड़ने के जदयू फैसले के प्रति आशंकित थे. चार साल बाद 2017 में भाजपा के साथ फिर से जुड़ने के नीतीश कुमार के फैसले के कारण यादव ने विद्रोह कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

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