चेन्नई, 12 अक्टूबर : तमिलनाडु सरकार ने अपने राजकीय पशु नीलगिरि तहर (बकरी की एक प्रजाति) का संरक्षण करने तथा इस लुप्तप्राय प्रजाति के बारे में बेहतर समझ विकसित करने के लिए बृहस्पतिवार को महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘नीलगिरि तहर परियोजना’ शुरू की. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने यहां सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में इस परियोजना की शुरुआत की. हस दौरान उन्होंने एक पट्टिका का अनावरण करने के साथ स्कूली विद्यार्थियों के बीच पुस्तकों का वितरण किया ताकि इस पशु के प्रति जागरूकता पैदा की जा सके.
स्थानीय रूप से ‘वराई आदु’ के नाम से चर्चित नीलगिरि तहर पश्चिमी घाट की एक लुप्तप्राय प्रजाति है जो खड़ी चट्टानों पर चढ़ने के दौरान गुरुत्वाकर्षण को मात देने के अपने कौशल के लिए जानी जाती है. इन पहाड़ी बकरियां को ‘माउंटेन मोनार्क’ कहा जाना सही जान पड़ता है. यहां जारी एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘ 2000 साल पहले लिखे गये संगम साहित्य में नीलगिरि तहर के कई उल्लेख हैं। संगम काल के पांच महाकाव्यों में से दो सिलप्पातिकारम और शिवकासिंदामणि में नीलगिरि तहर और उसके प्राकृतिक वास का विवरण मिलता है.’’
तमिलनाडु में इसकी पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक महत्ता की प्रमाण यह है कि नीलगिरि तहर को तमिलनाडु का राजकीय पशु घोषित किया गया है. दिसंबर, 2022 में जारी किये गये एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि इस परियोजना का उद्देश्य नीलगिरि तहर की कुल संख्या, विभिन्न क्षेत्रों में फैली उनकी अलग-अलग संख्या एवं पारस्थितिकी के प्रति बेहतर समझ विकसित करना तथा उसके ऐतिहासिक वासों में नीलगिरि तहर को फिर से बसाना. इन उद्देश्यों में नीलगिरि तहर पर मंडरा रहे खतरों का समाधान करना एवं उसके बारे में लोगों को जागरूक करना है.
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