चेन्नई, 25 नवंबर: तमिलनाडु सरकार और पांच जिलाधिकारियों ने राज्य में कथित अवैध रेत खनन को लेकर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी समन को चुनौती देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. ये समन जिलाधिकारियों को जारी किये गये हैं. अरियलूर, वेलूर, तंजावूर, करुर और तिरुचिरापल्ली के जिलाधिकारियों की तरफ से राज्य के सार्वजनिक विभाग के सचिव द्वारा दायर याचिका पर 27 नवंबर को सुनवाई होने की उम्मीद है.
सचिव ने अपनी याचिका में कहा कि ईडी ने जांच की आड़ में विभिन्न जिलाधिकारियों को समन जारी किया है, जिसमें अपने क्षेत्र अधिकार से बाहर जाकर ‘बेवजह फंसाने’’ के लिए उनके जिले की सभी रेत खदानों के बारे में जानकारी मांगी है. ईडी ने कथित तौर पर पीएमएलए के तहत जांच के सिलसिले में जिलाधिकारियों को समन जारी कर विभिन्न तारीखों पर उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है.
उन्होंने बताया कि समन में जिलाधिकारियों को अपने आधार कार्ड की एक प्रति के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और अपने जिलों में सभी रेत खनन स्थलों का विवरण जमा करने का निर्देश दिया गया है. वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रेत, जो एक सूक्ष्म खनिज है, संविधान के तहत राज्य का विषय है। उन्होंने कहा कि इसलिए, ईडी को विषय वस्तु या उससे जुड़े मामले में पूछताछ और जांच करने का अधिकार नहीं है.
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