नवाब मलिक के खिलाफ अत्याचार मामले को 'तार्किक निष्कर्ष' पर पहुंचाएं: बॉम्बे उच्च न्यायालय

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पुलिस को आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े की शिकायत पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक के खिलाफ दर्ज अत्याचार अधिनियम मामले की जांच पूरी करने और इसे 'तार्किक निष्कर्ष' तक ले जाने का निर्देश दिया.

(Photo Credits ANI)

मुंबई, 12 दिसंबर : बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पुलिस को आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े की शिकायत पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक के खिलाफ दर्ज अत्याचार अधिनियम मामले की जांच पूरी करने और इसे 'तार्किक निष्कर्ष' तक ले जाने का निर्देश दिया. मुंबई पुलिस ने न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति एस जी डिगे की खंडपीठ को आश्वासन दिया कि 2022 के मामले की जांच चार सप्ताह के भीतर पूरी कर ली जाएगी.

पुलिस ने पीठ को यह भी बताया कि मामले में दो (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1) क्यू और आर) और धाराएं शामिल की गई हैं. ये धाराएं किसी लोक सेवक को चोट पहुंचाने या परेशान करने तथा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को जानबूझकर अपमानित करने या डराने के लिए झूठी जानकारी देने से संबंधित हैं. यह भी पढ़ें : 2019 में झारखंड में सरकार बनने के बाद विकास की नींव डाली थी, अब बिल्डिंग खड़ा करेंगे: हेमंत सोरेन

पीठ ने पुलिस के आश्वासन को स्वीकार कर लिया और मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी, 2025 को तय कर दी. अदालत ने कहा, "प्राथमिकी 2022 की है. हम कोई दबाव नहीं डाल रहे हैं. लेकिन इसे तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने की जरूरत है."

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