नयी दिल्ली, छह जुलाई उच्चतम न्यायालय ने ‘लिव-इन पार्टनर’ के अपहरण और बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत दे दी है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने उल्लेख किया कि अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखने वाले संबंधित युगल के बीच ‘लिव-इन’ संबंध समझौता था और उन्होंने संयुक्त रूप से पुलिस सुरक्षा के लिए याचिका भी दायर की थी।
न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता नौ महीने तक सलाखों के पीछे रह चुका है।
इसने कहा, ‘‘तीन कारक हमारे लिए महत्व रखते हैं। 25 अगस्त, 2022 का ‘लिव-इन’ संबंध समझौता, विशेष रूप से एक अंतरधार्मिक युगल के रूप में पुलिस सुरक्षा के लिए संयुक्त याचिका दायर करना और यह कि याचिकाकर्ता पहले से ही लगभग नौ महीने से हिरासत में है।’’
पीठ ने कहा कि उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर अपीलकर्ता को जमानत दी जाती है।
आरोपी की ओर से पेश वकील नमित सक्सेना ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत लड़की के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि उनके बीच संबंध सहमति से बने थे।
शीर्ष अदालत 22 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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