नयी दिल्ली, 30 मार्च उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया कि वे राज्य में निकाले गए लौह अयस्क के निर्यात पर अपना रुख स्पष्ट करें ।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा इस मुद्दे पर निर्देश लें और आठ अप्रैल तक जवाब दाखिल करें ।
न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति और निगरानी समिति को जमीन पर लौह अयस्क की अनुमानित उपलब्ध मात्रा का जिक्र करते हुए एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘निकाले गए लोहे को जमीन पर रखने का कोई मतलब नहीं है। या तो इसका इस्तेमाल करना है या इसे बेचना है। आइए पहले स्थिति स्पष्ट करें फिर देखेंगे कि क्या करना है। इससे राज्य सरकार और विकास कोष को कुछ पैसा मिल सकता है।’’
शीर्ष अदालत ने पहले कर्नाटक के खनिकों से लौह अयस्क छर्रों के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था। हालांकि निजी खनिकों ने लौह अयस्क निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया था।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने कर्नाटक से लौह अयस्क छर्रों के निर्यात की अनुमति देने की किसी भी संभावना से इनकार किया था।
शीर्ष अदालत 2009 से गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘समाज परिवर्तन समुदाय’ द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर आदेश पारित कर रही है। याचिका में राज्य में खनन गतिविधियों में विभिन्न अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है।
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