गोरखपुर में आयुक्त सभागार में आयोजित बैठक में गोरखपुर मण्डल के विकास कार्यों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चल रही विकास परियोजनाएं भ्रष्टाचार मुक्त हों और पारदर्शिता, गुणवत्ता और समय सीमा का विशेष ध्यान रखा जाए और कानून व्यवस्था के सामने कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
रविवार को लखनऊ में जारी एक सरकारी बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने गोरखपुर मण्डल के विकास कार्यक्रमों, कानून-व्यवस्था एवं 10 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की प्रगति की जिलेवार विस्तृत समीक्षा की।
इस अवसर पर उन्होंने गोरखपुर के गायत्रीनगर की दो लाभार्थियों को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की।
उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक परियोजना के लिये एक नोडल अधिकारी अवश्य नामित किया जाए और बाढ़ नियंत्रण से सम्बंधित सभी तैयारियां समय से पूर्व ही पूर्ण कर ली जाएं तथा संवेदनशील बांधों की मरम्मत का कार्य बरसात से पूर्व करा लिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि महानगर में जल-जमाव की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए नालों की साफ-सफाई आदि कार्यां को समय से कराया जाए तथा कार्यों की नियमित निगरानी भी की जाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपनी तैनाती स्थल पर रात्रि में रुकें ।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जनप्रतिनिधियों से बेहतर संवाद स्थापित किया जाए। माह में कम से कम एक बार उनके साथ बैठक किया जाये । अधिकारीगण जनता के प्रति संवेदनशील होकर उनकी समस्या का समाधान करें।
कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराधियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए, पुलिस थानों पर आने वाले लोगों के लिए बैठने, पेयजल आदि की व्यवस्था हो। शिकायतों की सुनवाई संवेदनशीलता के साथ की जाए। पुलिस थानों पर अनावश्यक पड़े सामानों का नियमानुसार निस्तारण भी कराया जाए। पुलिस पेट्रोलिंग को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाया जाए। सप्ताह में एक दिन शहीद स्थलों/पर्यटन स्थलों पर पुलिस बैण्ड द्वारा देशभक्ति की धुन बजायी जाए।
बैठक के दौरान मण्डल के सभी जिलाधिकारियों ने अपने-अपने जनपद के विकास कार्यक्रमों की प्रगति तथा पुलिस अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया।
सं आनन्द
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