इस्पात के दाम 10 प्रतिशत घटे, कोयले की कमी से द्वितीयक श्रेणी के उत्पादकों का संकट बढ़ा

रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष के बाद अप्रैल से तैयार इस्पात उत्पादों के दाम नीचे आने लगे हैं. वहीं जिंसों के ऊंचे दाम की वजह से इस्पात क्षेत्र की कंपनियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Stainless Steel (Photo Credits: Pixabay)

कोलकाता, 15 मई : रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष के बाद अप्रैल से तैयार इस्पात उत्पादों के दाम नीचे आने लगे हैं. वहीं जिंसों के ऊंचे दाम की वजह से इस्पात क्षेत्र की कंपनियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता के बाजार में ‘लॉन्ग’ उत्पादों की कीमतें औसतन 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 57,000 रुपये प्रति टन पर आ गई हैं, जो पहले 65,000 रुपये प्रति टन के उच्चस्तर पर थीं.

अधिकारियों ने बताया कि द्वितीयक इस्पात उत्पादकों के लिए कोयला प्रमुख कच्चा माल है. उस समय कोयले के दाम उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी हैं. वहीं बड़ी कंपनियों के इस्पात के दाम उस समय 75,000 से 76,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गए थे. यह भी पढ़ें : शिवसेना ने हिंदुत्व को छोड़ दिया है, 10 जनपथ के निर्देश पर काम कर रही : नवनीत राणा

स्टील रोलिंग मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन विवेक अदुकिया ने पीटीआई- को बताया, ‘‘टीएमटी छड़ और ‘स्ट्रक्चरल’ जैसे इस्पात उत्पादों की सुस्त मांग के कारण इनकी कीमत 10 से 15 प्रतिशत घट गई है और इसके थोड़ा और कम होने की उम्मीद है. जबकि हमारी लागत बढ़ गई है.’’

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