कोलंबो, 28 जनवरी श्रीलंका विवादास्पद आतंकवाद निरोधक कानून में संशोधन करेगा जिसके तहत पुलिस को संदिग्धों की बिना सुनवाई के गिरफ्तार करने की व्यापक शक्तियां हासिल हैं। मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् के बढ़ते दबाव के बीच इस कानून को वह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाएगा।
सरकार ने बृहस्पतिवार को गजट अधिसूचना जारी कर कहा कि आतंकवाद निरोधक कानून (पीटीए) में संशोधन किया जाएगा। 1979 में लागू किया गया यह कानून अधकारियों को ‘‘आतंकवादी गतिविधि’’ में संलिप्त किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट की गिरफ्तारी एवं छापेमारी का अधिकार देता है।
जिनेवा में यूएनएचआरसी के मार्च में होने वाले सत्र से पहले यह कदम उठाया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि विधेयक में कई संशोधन हैं और इसमें सुनिश्चित किया गया है कि संदिग्धों को मूलभूत अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर उच्चतम न्यायालय तक पहुंचने एवं राहत मांगने की अनुमति दी जाए।
इसमें हिरासत में रखे गए व्यक्ति को कानूनी पहुंच की अनुमति देने का प्रस्ताव है और यह भी अनुमति है कि हिरासत में रखे गए व्यक्ति से उसके रिश्तेदार संपर्क कर सकें।
उन्होंने बताया कि हिरासत में रखे जाने की अवधि को भी 18 महीने से घटाकर 12 महीने किया जाएगा।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)