नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें विशेष विवाह कानून के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया गया है।
साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि इस संबंध में कानून बनाने का काम संसद का है।
इस मामले में सॉलिसिटर जनरल मेहता केंद्र के प्रमुख वकील थे। उन्होंने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया था कि इस मामले पर निर्णय संसद पर छोड़ दिया जाए क्योंकि यह विधायिका के दायरे में आता है। उन्होंने कहा, “मैं न्यायालय के फैसले का दिल से स्वागत करता हूं। मुझे प्रसन्नता है कि मेरी दलील स्वीकार कर ली गई है।’’
मेहता ने एक बयान में कहा, “सभी चार फैसले हमारे देश के न्यायशास्त्र और बौद्धिक कवायद को अगले स्तर पर ले गए हैं। दुनिया में बहुत कम अदालतें हैं जहां इस स्तर की बौद्धिक और विद्वतापूर्ण न्यायिक कवायद की उम्मीद की जा सकती है। यह फैसला विभिन्न न्यायक्षेत्रों में पढ़ा जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह शक्तियों के विभाजन के प्रश्न पर एक अहम न्यायशास्त्रीय घटनाक्रम है तथा संसद, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के कामकाज के संबंध में व्यापक और स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो संविधान के अनुसार एक दूसरे के पूरक के रूप में काम करते हैं।
उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला देते हुए समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह कानून के तहत कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने हालांकि, समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मान्यता दी और आम जनता को इस संबंध में संवेदनशील होने का आह्वान किया ताकि उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)