सोशल मीडिया संबंधी नियम सरकार के 'उत्तर कोरियाई रवैये' को दिखाते हैं: कांग्रेस
कांग्रेस (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 26 मई: कांग्रेस ने सोशल मीडिया से जुड़े नए नियमों को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति नरेंद्र मोदी सरकार के ‘उत्तर कोरियाई रवैये’ को दिखाते हैं. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा भी किया कि सरकार इन नियमों के जरिए सोशल मीडिया मंचों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है जिसका विपक्ष की ओर से पुरजोर विरोध किया जाएगा. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सोशल मीडिया मंच अपनी लड़ाई लड़ेंगे. हम देश के नागरिकों की तरफ से बात कर रहे हैं. ये जो नियम लागू हो रहे है, वो गंभीर हैं. इनका हम पुरजोर विरोध करते हैं.’’

सिंघवी ने आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार जिन नियमों को लागू कर रही है वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर उसके उत्तर कोरियाई रवैये को दिखाते हैं. यह लोकतंत्र के हर स्तंभ पर नियंत्रण करने का एक और प्रयास है. यह सीबीआई, ईडी और चुनाव आयोग के साथ होता हुआ देखा गया है.’’ वरिष्ठ वकील सिंघवी ने अदालतों के कुछ फैसलों का हवाला देते हुए दावा किया, ‘‘इस सरकार की समझ सिर्फ यह है कि विरोध की हर आवाज राष्ट्र विरोधी है, प्रधानमंत्री और सरकार की निंदा या कार्टून अपराध है, ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाने वाले जेल भेजना है. इस सरकार को विरोध स्वीकार नहीं है.’’

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उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्र आवाज जीवन और लोकतंत्र की ऑक्सीजन है. इस ऑक्सीजन को कम नहीं किया जा सकता है. ऐसा करना हमारी संस्कृति के भी विरुद्ध है.’’ कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘अब बहुत हो चुका. हम अपनी आजादी और स्वायत्तता पर आक्रमण के खिलाफ एक सुर में बोलेंगे.’’ गौरतलब है कि नए सूचना प्रौद्योगिकी नियम बुधवार (26 मई) से प्रभाव में आएंगे और इनकी घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी. नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी.

इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं. प्रमुख सोशल मीडिया मंचों को नए नियमों के अनुपालन के लिये तीन महीने का समय दिया गया था. इस श्रेणी में उन मंचों को रखा जाता है, जिनके पंजीकृत उपयोगकर्ताओं की संख्या 50 लाख से अधिक है. फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप ने इन नियमों को लेकर सरकार के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है.

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