पारादीप, सात जून सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के ढिंकिया गांव में भारी विरोध का सामना करना पड़ा, जहां हाल ही में जेएसडब्ल्यू इस्पात परियोजना को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने उन्हें ‘वापस जाने’ के लिए कहा, क्योंकि उन्होंने जेल में बंद एक आंदोलनकारी के घर जाने की कोशिश की।
पाटकर और उनके साथ आए लोगों को सोमवार को विरोध स्थल से वापस लौटना पड़ा क्योंकि ग्रामीणों ने उन्हें ढिंकिया में प्रवेश से रोक दिया। यह गांव दक्षिण कोरियाई इस्पात कंपनी पॉस्को के खिलाफ विस्थापन विरोधी आंदोलन का केंद्र है।
विस्थापन की चिंताओं को लेकर जेएसडब्ल्यू इस्पात परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले एक कार्यकर्ता देबेंद्र स्वैन को जनवरी में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के चलते गिरफ्तार किया गया था।
मेधा पाटकर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह स्वैन के परिवार के सदस्यों से मिलना चाहती थीं, लेकिन स्थानीय लोगों के एक वर्ग ने दावा किया कि जेएसडब्ल्यू परियोजना के बारे में उनसे प्रतिक्रिया लेने के लिए कार्यकर्ताओं का एक दल वहां मौजूद था।
सामाजिक कार्यकर्ता ने यह भी कहा कि उन्होंने यात्रा के लिए स्थानीय पुलिस से अनुमति ली थी। हालांकि, जगतसिंहपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निमाई सेठी ने इस बात का खंडन किया है।
अधीक्षक ने कहा ‘‘पुलिस को पाटकर के दौरे के बारे में सूचित नहीं किया गया था। हमें इसके बारे में बाद में पता चला। यदि कुछ अनहोनी होती तो उसके लिए पुलिस जिम्मेदार नहीं होती। पाटकर को लिखित में अनुमति लेनी चाहिए थी।’’
पॉस्को विरोधी आंदोलन के प्रमुख नेता शिशिर महापात्रा 'वापस जाओ' के नारे लगाने वालों में शामिल थे। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग नहीं चाहते कि वह उनके जीवन में हस्तक्षेप करें।
महापात्रा ने कहा, ‘‘हम पिछले कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन के प्रकोप का सामना कर रहे थे। चक्रवात और बाढ़ ने हमारे गांवों को तबाह कर दिया। अगर जेएसडब्ल्यू अपना इस्पात संयंत्र स्थापित करता है और इस जगह को विकसित करता है तो ग्रामीण प्राकृतिक आपदाओं के संकट से बच सकेंगे।’’
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