बेंगलुरु, दो जुलाई कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को संकल्प लिया कि वह उस जातिवार जनगणना की रिपोर्ट हासिल करेंगे, जो मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल (वर्ष 2013 से 2018) के दौरान कराई गई थी।
सिद्धरमैया ने कहा कि उन समुदायों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए जाति आधारित जनगणना जरूरी थी, जिनके साथ जातिवाद के कारण अन्याय हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, जिनके कार्यकाल (मई 2018-जुलाई 2019) के दौरान जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट तैयार हुई थी, ने तत्कालीन पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री सी पुत्तरंगा शेट्टी को धमकी देकर इस रिपोर्ट को पेश करने में बाधा डाली।
बेंगलुरु में रविवार को श्री कागिनेले महासंस्थान कनक गुरुपीठ के भूमिपूजन समारोह के बाद सिद्धारमैया ने कहा कि वह कुरुबा (चरवाहा) समुदाय से आते हैं, जिसकी राज्य की कुल आबादी में लगभग सात प्रतिशत हिस्सेदारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम राज्य की कुल आबादी में सात प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं, जिसका अर्थ है कि सात करोड़ की आबादी में हमारी संख्या 49 लाख है। यही कारण है कि मैंने जातिवार जनसंख्या का पता लगाने का काम कर्नाटक पिछड़ा वर्ग आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष एच कंथाराज को सौंपा था।’’
मुख्यमंत्री के अनुसार, जातिवार जनगणना कराने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि लोग सामाजिक और आर्थिक रूप से कहां खड़े हैं।
सिद्धरमैया ने बताया कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान जातिवार जनगणना के लिए 162 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि रिपोर्ट तैयार थी, तो मुझे निश्चित तौर पर मिलती। मुझे किसी चीज की चिंता ही नहीं होती।’’
आयोग के सदस्य सचिव के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण सिद्धरमैया को यह रिपोर्ट हासिल नहीं हो सकी थी। 2018 में जब तक उन्हें रिपोर्ट मिल पाती, तब तक कांग्रेस राज्य में सत्ता गंवा बैठी थी।
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