नयी दिल्ली, 9 अप्रैल : राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) पर तेलंगाना में वंशवाद संबंधी उनकी टिप्पणी को लेकर पलटवार करते हुए रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर ‘सुविधा की राजनीति’ करने का आरोप लगाया और पार्टी द्वारा पूर्व में विभिन्न राज्यों में वंशवादी राजनीतिक परिवारों के साथ गठबंधन करने के उदाहरण उल्लेखित किये. प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पर कटाक्ष किया और राज्य सरकार से विकास से संबंधित कार्यों में कोई बाधा नहीं आने देने का आग्रह किया.
सिब्बल ने ट्वीट करते हुए कहा प्रधानमंत्री राव पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं भ्रष्टाचार और वंशवाद साथ-साथ चलते हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने पंजाब में (अकालियों से), आंध्र प्रदेश में (जगन से), हरियाणा में (चौटाला परिवार से), जम्मू कश्मीर में (मुफ्ती परिवार से) और महाराष्ट्र में (ठाकरे परिवार से) हाथ क्यों मिलाया, क्या भाजपा ने जब उनके साथ हाथ मिलाया था तब वे वंशवादी नहीं थे? पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इसे सुविधा की राजनीति कहते हैं." एक अन्य ट्वीट में सिब्बल ने कहा, “ प्रधानमंत्री: केसीआर पर तंज कसते हुए कहते हैं कि वंशवाद और भ्रष्टाचार साथ-साथ चलते हैं. भाजपा आप (आम आदमी पार्टी) पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाती है. वहां तो कोई वंशवाद नहीं है. भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के लिए वंशवाद की जरूरत नहीं है.” उन्होंने कहा, “आप कहते हैं कि भाजपा वंशवादी नहीं है. क्या भाजपा भ्रष्ट है?" यह भी पढ़ें : आईआईटी छात्र की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने उसके एक सहपाठी को गिरफ्तार किया
मोदी ने तेलंगाना में कहा था कि उनकी सरकार ने वंशवादी ताकतों के भ्रष्टाचार की असली जड़ पर प्रहार किया है जो हर व्यवस्था पर अपना नियंत्रण रखना चाहती हैं. मोदी ने कहा, ‘‘हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहिए या नहीं? हमें भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ना चाहिए या नहीं? देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना चाहिए या नहीं? क्या भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कानूनी कदम उठाए जाने चाहिए, भले ही वे (भ्रष्टाचारी) बड़े हों या नहीं. क्या कानून को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ काम करने देना चाहिए या नहीं?’’ उन्होंने कहा कि इसलिए ‘‘ये लोग’’ परेशान है और वे गुस्से में सब कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि ‘परिवारवाद’ और ‘भ्रष्टाचार’ एक दूसरे से अलग नहीं है. उन्होंने कहा कि जहां ‘‘परिवारवाद’’ होता है वहीं ‘‘भ्रष्टाचार’’ पनपता है.