नयी दिल्ली, सात अक्टूबर सितंबर माह में यमुना नदी में जलमल प्रदूषण अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह जानकारी एक हालिया रिपोर्ट में सामने आई।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, ‘फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया’ का स्तर - अशोधित जलमल का एक प्रमुख संकेतक - प्रति 100 मिलीलीटर में 4,900,000 सर्वाधिक संभावित संख्या (एमपीएन) तक बढ़ गया, जो 2,500 इकाई के मानक से 1,960 गुना और 500 इकाई की वांछित सीमा से 9,800 गुना अधिक है।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह फरवरी 2022 के बाद से दर्ज किया गया उच्चतम स्तर है, जब आगरा कैनाल स्टेशन द्वारा मापा गया, ‘फीकल कोलीफॉर्म’ का स्तर 6,300,000 यूनिट था।
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून की बारिश से जल प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, ‘फीकल कोलीफॉर्म’ के लिए प्रदूषण संकेतक ‘चिंताजनक रूप से’ उच्च बना रहा। बारिश से घुली हुई ऑक्सीजन (डीओ) और जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) के स्तर में थोड़ा सुधार हुआ। डीओ पानी में घुली ऑक्सीजन को मापता है, जबकि बीओडी कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा को संदर्भित करता है।
भारत मौसम विभाग के अनुसार, 2024 के मानसून मौसम के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 1,030 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।
रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि जैसे-जैसे नदी शहर से होकर बहती है, प्रदूषण का स्तर बढ़ता जाता है।
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