नयी दिल्ली, 23 मई कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि ‘अपारदर्शी फंड’ के जरिये निवेश को रोकने वाले नियम को भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कमजोर आधार पर खत्म कर दिया।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब एक खबर में दावा किया गया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति के संज्ञान में यह बात आई है कि सेबी ने अडाणी समूह से जुड़ी हिस्सेदारी को लेकर संदेह होने से महीनों पहले ही ‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेश’ (एफपीआई) के लिए जरूरी प्रावधान को हटा दिया।
रमेश ने एक बयान में कहा कि समिति ने खुलासा किया है कि कैसे सेबी की जांच को रोक दिया गया, यह गतिरोध वाले बिंदु पर पहुंच गई तथा जरूरी विनियमन 32 (1)एफ को हटा दिया गया।
उन्होंने कहा कि यह सब उस वक्त हुआ जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘विदेशों में जमा कालेधन’ को लेकर ‘खोखले बयान’ देते हैं।
कांग्रेस इस मामले में लंबे समय से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग करती आ रही है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति ने पिछले दिनों कहा कि वह अडाणी समूह के शेयरों में तेजी को लेकर किसी तरह की नियामकीय विफलता का निष्कर्ष नहीं निकाल सकती ।
समिति ने यह भी कहा कि सेबी विदेशी संस्थाओं से धन प्रवाह के कथित उल्लंघन की अपनी जांच में कोई सबूत नहीं जुटा सकी है।
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