नयी दिल्ली, 24 जनवरी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रिलायंस सिक्योरिटीज लिमिटेड और अन्य संबद्ध प्रतिभूतियों के डीलरों की फ्रंट-रनिंग (भविष्य के लेनदेन की भेदिया जानकारी) कारोबारी गतिविधियों के मामले में दो व्यक्तियों को जारी कारण बताओ नोटिस का निपटान कर दिया है।
दिसंबर, 2019 से जनवरी, 2020 तक निगरानी अलर्ट के आधार पर सेबी ने इस मामले में शुरुआती जांच शुरू की थी। इसमें दो व्यक्तियों – मुकेश पारेख और उनकी पत्नी अर्चना मुकेश पारेख – पर टाटा एब्सॉल्यूट रिटर्न फंड (टीएआरएफ) के ट्रेड में ‘फ्रंट रनिंग’ का संदेह था। टीएआरएफ एक सेबी-पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोष है।
नियामक सेबी द्वारा अगस्त, 2020 में एक अंतरिम आदेश पारित किया गया था, जिसमें उसने दो नोटिस पाने वालों को अगले निर्देश तक प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था। ये लोग प्रथम दृष्टया बड़े ग्राहक के सौदे में ‘फ्रंट रनिंग’ गतिविधियों में लिप्त पाए गए थे।
अंतरिम आदेश के माध्यम से जारी निर्देशों के अनुपालन में, सेबी द्वारा नोटिस प्राप्त करने वालों को उनके द्वारा गैरकानूनी तरीके से कमाए गए 66 लाख रुपये की राशि को जमा करने का निर्देश दिया गया था।
इसके अलावा, एक पक्के आदेश के माध्यम से नोटिस पाने वालों के खिलाफ अंतरिम आदेश की पुष्टि की गई। जांच लंबित रहने तक पारित अंतरिम आदेश के अनुसार, सेबी ने दिसंबर, 2019 से अगस्त, 2020 की अवधि के दौरान नोटिस पाने वाले दोनों व्यक्तियों के खिलाफ इस बात की जांच की कि कहीं उन्होंने धोखाधड़ी एवं अनुचित व्यापार व्यवहार प्रतिबंध (पीएफयूटीपी) नियमों के तहत कोई उल्लंघन तो नहीं किया है।
निष्कर्षों के आधार पर मई, 2022 में इन लोगों को साझा नोटिस जारी किए गए, जिसमें कहा गया कि यदि लाबधी एंटरप्राइजेज, फाल्गुनी केतन पारेख, अनीश बगाड़िया तथा हर्षल वीरा के बीच साठगांठ नहीं होती, तो लाबधी एंटरप्राइजेज के खाते से फ्रंट रनिंग गतिविधियां नहीं की जा सकती थीं।
सेबी के अनुसार, नोटिस पाने वालों ने 20-22 जुलाई, 2022 में दो निपटान आवेदन दायर किए। दिसंबर, 2022 में निपटान आदेश पारित किया गया। इसके तहत नोटिस पाने वाले व्यक्तियों ने 87.30 रुपये की निपटान राशि के साथ शेष 3.61 लाख रुपये की और राशि जमा की है।
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