शिमला, 21 अक्टूबर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को शिमला के निगम आयुक्त अदालत को निर्देश दिया कि वह राज्य की राजधानी शिमला में स्थित संजौली मस्जिद के कथित अवैध निर्माण से जुड़े 15 साल पुराने मामले में आठ सप्ताह के भीतर फैसला करे।
यह निर्देश निगम आयुक्त अदालत के पांच अक्टूबर के आदेश के बाद सोमवार को विवादित मस्जिद की तीन अनधिकृत मंजिलों को गिराने की प्रक्रिया शुरू होने के कुछ घंटे बाद आया।
वक्फ बोर्ड द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद मंजिलों को ढहाने का काम शुरू हो गया, लेकिन इस मामले में अंतिम फैसले का इंतजार है।
संजौली के निवासियों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश संदीप शर्मा ने निगम आयुक्त को निर्देश दिए।
याचिकाकर्ताओं में से एक एवं वकील जगतपाल ठाकुर ने कहा, ‘‘लंबी बहस के बाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को संजौली के निवासियों की ओर से दायर रिट याचिका को स्वीकार कर लिया और नगर निगम को आठ सप्ताह में मुख्य मामले का फैसला करने का निर्देश दिया। साथ ही मामले की सुनवाई करने से पहले सभी हितधारकों को नोटिस देने का भी निर्देश दिया।’’
ठाकुर ने कहा कि नगर निगम (एमसी) अधिनियम, 1994 की धारा 254 (6) के अनुसार, किसी मामले की कार्यवाही छह महीने में बंद हो जानी चाहिए, लेकिन यह विशेष मामला पिछले 15 वर्षों से लंबित है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने इस मामले में समयबद्ध निर्णय देने का अनुरोध करते हुए रिट याचिका दायर की है।’’
याचिकाकर्ताओं ने नगर निगम के एक जूनियर इंजीनियर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि मस्जिद की कुछ मंजिलें ही नहीं बल्कि पूरी संरचना अवैध है।
इससे पहले दिन में संजौली मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने मस्जिद की तीन अनधिकृत मंजिलों को ध्वस्त करने का काम शुरू कर दिया।
मस्जिद की प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष मुहम्मद लतीफ ने सोमवार शाम ‘पीटीआई-’ को बताया कि कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच छत को तोड़ने का काम शुरू हुआ।
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