नयी दिल्ली, 21 मार्च संसद की एक समिति ने सरकार से पानी की बढ़ती कमी में जलवायु परिवर्तन की भूमिका का मूल्यांकन करने के लिए अध्ययन शुरू करने को कहा है।
समिति ने कहा कि तापमान बढ़ने के साथ वैश्विक जलवायु परिवर्तन का पानी की उपलब्धता पर गंभीर प्रभाव पढ़ा है।
जल संसाधन पर संसदीय समिति ने संसद में सोमवार को प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा कि बढ़ती आबादी और शहरीकरण के साथ मौसम संबंधी घटनाक्रम का जल संतुलन पर गंभीर प्रभाव दिखने लगा है।
उसने कहा कि बहुत कम अवधि में मूसलधार बारिश होने से बाढ़ आ जाती है तो पर्याप्त बारिश नहीं होने से भूजल का स्तर गिर जाता है।
समिति ने कहा कि दूसरी तरफ अधिक दिन तक गर्मियां पड़ने और तापमान बढ़ने से जमीन सूख जाती है। वहीं, अतिक्रमण के कारण जलाशय सूख जाते हैं।
समिति ने आशंका जताई कि इस तरह की चुनौतियों की स्थिति में इस समस्या से निपटने के लिए अब तक किये गये उपाय पर्याप्त नहीं होंगे।
समिति ने सिफारिश की है कि पेयजल और स्वच्छता विभाग को बढ़ते जल अभाव के संकट में जलवायु परिवर्तन की भूमिका का मूल्यांकन करने और इसके प्रभाव को कम करने के लिहाज से जरूरी रणनीतियां बनाने के लिए अध्ययन शुरू करना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार यह पाया गया कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को 2020 में पूर्ण रूपेण राष्ट्रीय जल मिशन स्थापित करने में नौ साल लगे और अब भी उसके पास पर्याप्त धन और स्वायत्तता नहीं है।
समिति ने कहा कि मिशन को अब भी विशेषज्ञता की जरूरत है क्योंकि परामर्शदाता और सलाहकारों की नियुक्ति नहीं की गयी है।
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