नयी दिल्ली, 18 सितंबर खेत मजदूर और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति की दर अगस्त में थोड़ी नरम पड़कर क्रमश: 6.32 और 6.28 प्रतिशत रही। पिछले साल इसी माह की तुलना में कुछ खाद्य पदार्थों के दाम गिरने से मुद्रास्फीति में यह नरमी आई है।
श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में यह जानकारी दी।
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पिछले साल अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-खेतिहर मजदूर (सीपीआई-एएल) आधारित मुद्रास्फीति की दर 6.39 प्रतिशत और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-ग्रामीण श्रमिक (सीपीआई-आरएल) मुद्रास्फीति की दर 6.23 प्रतिशत थी।
समीक्षावधि में सीपीआई-एएल की खाद्य समूह आधारित मुद्रास्फीति 7.76 प्रतिशत और सीपीआई-आरएल की 7.83 प्रतिशत रही। पिछले साल अगस्त में इनकी खाद्य समूह मुद्रास्फीति क्रमश: 7.27 और 6.98 प्रतिशत थी।
राज्यवार आंकड़ों के आधार पर सीपीआई-एएल और सीपीआई-आरएल में सबसे अधिक बढ़त पश्चिम बंगाल में दर्ज की गयी। इसकी बड़ी वजह सरसों तेल, आटा, गेहूं, दाल, दूध, हरीमिर्च, अदरक, देशी शराब, जलावन की लकड़ी, बीड़ी, बकरी का मांस, सूखी मछली, बस के किराये और फल एवं सब्जियों की कीमत बढ़ना रही।
वही सीपीआई-एएल और सीपीआई-आरएल में सबसे अधिक गिरावट केरल राज्य में दर्ज की गयी। इसकी प्रमुख वजह दालों, नारियल तेल, सूखी मिर्च, प्याज और ताजा मछली की कीमतों में कमी आना रही।
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि खेत मजदूरों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति की दर में लगातार सात महीने से कमी आ रही है। इसका श्रेय मुख्य तौर पर कोविड-19 महामारी के दौरान श्रमिकों और गरीबों की मदद के लिए सरकार द्वारा उठाए गए राहतकारी कदमों को जाता है।
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