जरुरी जानकारी | रिजर्व बैंक को 9.5 प्रतिशत वृद्धि हासिल होने की उम्मीद, मुद्रास्फीति नीचे लाने पर होगा ध्यान

मुंबई, नौ सितंबर भारतीय रिजर्व बैंक को चालू वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान हासिल होने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को यह उम्मीद व्यक्त करते हुये कहा कि इसके अलावा केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के तय लक्ष्य पर लाने की दिशा में कदम उठायेगा।

दास ने कहा कि कई त्वरित संकेतक आर्थिक गतिविधियों में सुधार दर्शा रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय बैंक 9.5 प्रतिशत वृद्धि दर के अनुमान को हासिल करने को लेकर आशान्वित है।

गवर्नर ने कहा कि नरम मौद्रिक रुख को जारी रखने पर निर्णय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) करेगी। उन्होंने कहा कि महामारी की वजह से कमजोर पड़ी आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को आगे बढ़ाने के लिये रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के मामले में मिली दो प्रतिशत के दायरे का लाभ उठाने का फैसला किया है और इसे 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में रखा है।

मुद्रास्फीति की ऊंची दर की वजह से रिजर्व बैंक ने एक साल से अधिक समय से ब्याज दरों को यथावत रखा है। एमपीसी की पिछली बैठक में छह में से एक सदस्य ने नरम रुख को वापस लेने पर जोर दिया था।

जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक महामारी उपायों को वापस लेने या ब्याज दरों में बढ़ोतरी से पहले अपने रुख में बदलाव करेगा।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर अगस्त तक हल्की पड़ चुकी थी। दूसरी तिमाही से तिमाही-दर-तिमाही आधार पर वृद्धि दर बेहतर रहेगी।

उन्होंने कहा कि इस लिहाज से सितंबर तिमाही जून तिमाही से बेहतर रहेगी। उन्होंने कहा कि एकमात्र अनिश्चितता महामारी की तीसरी लहर है। उन्होंने कहा कि कारोबार क्षेत्र और कंपनियों को अभी इस तरह की अड़चनों से निपटने के बारे में सीखना है।

गवर्नर ने कहा, ‘‘आगे चलकर मुद्रास्फीति को लक्ष्य में रखने वाले संस्थान के रूप में हमारा ध्यान समय के साथ इसे चार प्रतिशत पर लाने पर होगा। इसका समय तय किया जाना है। आज वह समय नहीं है।’’

यह पहली बार है जबकि गवर्नर ने साफ तौर पर मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में लाने के बारे में बोला है। सरकार ने मध्यम अवधि के लिए यह लक्ष्य रखा है।

जुलाई में मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत रही है। दास ने कहा कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी की वजह आपूर्ति पक्ष के कारक हैं। इनमें जिंसों का ऊंचा दाम भी आता है।

उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतें भी महंगाई में बढ़ोतरी की वजह हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक इस मुद्दे पर सरकार के साथ लगातार संपर्क में है। उन्होंने खाद्य तेलों तथा दलहनों के दाम घटाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया।

दास ने कहा कि कि रिजर्व बैंक ने वृद्धि पर अतिरिक्त ध्यान देने का फैसला किया है। यदि वृद्धि पटरी से नीचे उतरती है, तो अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए दीर्घावधि की चुनौतियां पैदा होती हैं।

गवर्नर ने कहा कि महामारी के दौरान चार प्रतिशत के लक्ष्य के बजाय केंद्रीय बैंक ने दो से छह प्रतिशत के दायरे में काम करने का फैसला किया।

वृद्धि के मोर्चे पर दास ने कहा कि त्वरित संकेतक मसलन दोपहिया बिक्री, यात्री कारों की बिक्री, जीएसटी ई-वे बिल, बिजली की खपत और ट्रैक्टरों की बिक्री में तेजी आई है। इससे वह अधिक आशान्वित हुए हैं।

गवर्नर ने कहा कि वैश्विक बाजारों में तरलता की स्थिति काफी सुगम है। इस वजह से घरेलू बाजारों में तेजी आ रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि संपत्ति की ऊंची कीमतें मुद्रास्फीति की स्थिति को प्रभावित कर रही हैं।

दास ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली की गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) अब ऐसे स्तर पर आ गई है कि इनका ‘प्रबंधन’ किया जा सकता है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी बफर है। जून तिमाही के अंत तक बैंकिंग प्रणाली का एनपीए अनुपात 7.5 प्रतिशत था।

दिवाला समाधान प्रक्रिया में ऋणदाताओं को भारी नुकसान के सवाल पर दास ने कहा कि आईबीसी के कामकाज में सुधार की गुंजाइश है। इनमें विधायी बदलाव के अलावा दिवाला अदालतों में किसी मामले में लगने वाला समय शामिल है।

गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर अपनी चिंताओं से सरकार को अवगत करा दिया है। अब सरकार को इसपर गौर करना है।

उन्होंने कहा कि निजी क्रिप्टो करेंसी का आगे चलकर भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान होगा इसपर हमें ‘विश्वसनीय जवाब’ की जरूरत है।

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