मुंबई, चार दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति के उसके संतोषजनक स्तर से ऊंची बने रहने का अनुमान है। केन्द्रीय बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रह सकती है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का विचार है कि जल्द नष्ट होने वाली कृषि उपज की कीमतों से सर्दियों के महीनों में क्षणिक राहत को छोड़कर मुद्रास्फीति के तेज बने रहने की संभावना है।
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हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति के 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति तेजी से बढ़कर सितंबर में 7.3 प्रतिशत और अक्टूबर में 7.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
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उनके अनुसार, कीमतों का दबाव बढ़ने से पिछले दो महीने के दौरान मुद्रास्फीति का परिदृश्य उम्मीद की तुलना में प्रतिकूल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘खरीफ फसलों की भारी आवक से अनाज की कीमतों का नरम होना जारी रह सकता है और सर्दियों में सब्जियों की कीमत में भी नरमी आ सकती है, लेकिन अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम अधिक बने रहने की आशंका है। इनका दबाव खुदरा मुद्रास्फीति पर बना रह सकता है।
दास ने कहा, ‘‘इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत, चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत और 2021-22 की पहली छमाही में 5.2 से 4.6 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है।’’
मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति दबाव के मद्देनजर नरम रुख के साथ रेपो दर को चार प्रतिशत पर बनाये रखा है।
दास ने कहा, ‘‘वित्तीय स्थिरता बने रहना और हर समय सुरक्षित रहना सुनिश्चित करते हुए हमारा सबसे प्रमुख्स उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को सहारा देते रहना है।’’
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