नयी दिल्ली, 22 दिसंबर सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली में सुधार लाए जाने के अनुरोध के साथ ही उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता, वस्तुनिष्ठता और सामाजिक विविधता के अभाव के संबंध में विभिन्न स्रोतों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं।
विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया ज्ञापन को अनुपूरित करने के लिए सुझाव भेजे हैं।’’
प्रक्रिया ज्ञापन एक दस्तावेज है जो उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण का मार्गदर्शन करता है।
रीजीजू ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्तियों की कॉलेजियम प्रणाली को अधिक व्यापक, पारदर्शी, जवाबदेही बनाने के लिए और प्रणाली में वस्तुनिष्ठता लाने के लिए सरकार ने 2015 में संविधान (निन्यानवां संशोधन) अधिनियम, 2014 और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को लागू किया था।
उन्होंने कहा कि लेकिन दोनों कानूनों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई और उच्चतम न्यायालय ने दोनों ही अधिनियमों को असंवैधानिक और शून्य घोषित कर दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘...न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली में सुधार लाने के अनुरोध के साथ समय-समय पर संवैधानिक न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता, वस्तुनिष्ठता और सामाजिक विविधता के अभाव के संबंध में विभिन्न स्रोतों से अभ्यावेदन प्राप्त किए गए हैं।’’
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