
नयी दिल्ली, 19 फरवरी भारतीय औषधि निर्यात संवर्धन परिषद (फार्मेक्सिल) ने बुधवार को कहा कि अमेरिका द्वारा भारतीय दवा निर्यात पर जवाबी शुल्क लगाने का कोई भी निर्णय मुख्य रूप से अमेरिकी उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा। हालांकि, घरेलू उद्योग सतर्क रूप से आशावादी बना हुआ है।
फार्मेक्सिल के महानिदेशक राजा भानु ने कहा कि भारत हर साल अमेरिका को आठ अरब डॉलर से अधिक के सामान का निर्यात करता है।
भानु ने कहा, “हमें कोई तत्काल प्रभाव नहीं दिखता। लेकिन अगर वे शुल्क लगाते हैं तो इससे केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं को नुकसान होगा। हम प्रतीक्षा कर रहे हैं और देख रहे हैं। हम मुख्य रूप से उन्हें जेनेरिक दवाएं निर्यात करते हैं।”
अमेरिकी अध्ययनों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, भारतीय कंपनियों की दवाओं से 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 अरब डॉलर की बचत हुई और 2013 से 2022 के बीच कुल 1,300 अरब डॉलर की बचत हुई तथा अगले पांच वर्षों में भारतीय कंपनियों की जेनेरिक दवाओं से 1,300 अरब डॉलर की अतिरिक्त बचत होने की उम्मीद है।
भानु ने कहा, “इस स्थिति में यदि वे शुल्क लगाने का निर्णय लेते हैं तो हम क्या कह सकते हैं?”
उन्होंने बताया कि भारतीय दवा कंपनियां अमेरिका को दवाओं के एक बड़े हिस्से की आपूर्ति करती हैं, तथा 2022 में अमेरिका में चिकित्सकों द्वारा लिखी जाने वाली सभी दवाओं में से दस में से चार दवाएं घरेलू कंपनियों द्वारा आपूर्ति की गईं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्पष्ट कर दिया है कि भारत को जवाबी शुल्क से नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शुल्क संरचना पर ‘कोई भी मुझसे बहस नहीं कर सकता।’
व्हाइट हाउस में 13 फरवरी को मोदी और ट्रंप की द्विपक्षीय बैठक से कुछ घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने जवाबी शुल्क की घोषणा की।
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