नागपुर, 11 जनवरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि धर्म भारत का आवश्यक सत्व है और सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है।
भागवत यहां धर्मभास्कर पुरस्कार कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारत के सत्व को हटाने के लिए एक नयी शिक्षा प्रणाली शुरू की और देश विपन्न हो गया।
उन्होंने कहा, "धर्म इस देश का सत्व है एवं सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है। जब कभी हिंदू राष्ट्र आगे बढ़ता है, वह उस धर्म के लिए ही आगे बढ़ता है। और अब यह ईश्वर की इच्छा है कि सनातन धर्म आगे बढ़े और इसलिए हिंदुस्तान का उदय निश्चित है।"
भागवत ने कहा कि धर्म केवल कोई पंथ, संप्रदाय या पूजा का स्वरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘‘धर्म का मूल्य’’ यानी सत्य, करुणा, पवित्रता और तपस्या समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि कई हमलों के बावजूद, भारत दुनिया के सबसे संपन्न देशों में से एक बना रहा क्योंकि यहां के लोगों ने "धर्म के सत्व" को बनाए रखा।
आरएसएस प्रमुख ने दावा किया कि भारत 1,600 वर्षों तक आर्थिक रूप से पहले नंबर था और बाद में भी यह पहले पांच देशों में से एक रहा। उन्होंने कहा कि लेकिन 1860 में, एक आक्रमणकारी (ब्रिटिश) ने सत्व के महत्व को समझा और उस सत्व को नष्ट करने के लिए एक नयी शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि इसलिए ऐसी योजनाएं बनाई गईं ताकि भारतीय एकजुट होकर उससे नहीं लड़ें और इसके फलस्वस्वरूप देश की आर्थिक स्थिति खराब होती गई।
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