मुंबई, चार दिसंबर बैंक के शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के चालू वित्त वर्ष और अगले साल नरम रुख बनाये रखने के निर्णय से सतत और भरोसेमंद आर्थिक वृद्धि सुनिश्चत होगी।
रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के उच्च स्तर को देखते हुए शुक्रवार को लगातार तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
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हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह आने वाले समय में मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप रखते हुए आर्थिक वृद्धि को गति देने और कोविड-19 के अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव को कम करने के लिये नरम रुख बनाये रखेगा।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक का यथस्थिति बनाये रखना उम्मीद के अनुरूप है लेकिन नरम रुख को आगे भी बनाये रखना बाजार के लिहाज से अच्छा है। इससे बाजार को अच्छा संकेत गया है।’’
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भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के चेयरमैन और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक तथा सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) राज किरण राय जी ने कहा कि आरबीआई ने साफ संकेत दिया है कि वह मुद्रास्फीति को निर्धारित लक्ष्य के दायरे में रखते हुए सतत और भरोसेमंद आर्थिक वृद्धि दर के लिये चालू और अगले वित्त वर्ष में नरम रुख को बनाये रखेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे बाजार को नीतिगत दर के मोर्चे पर स्पष्ट संकेत गया है...।’’
स्टैन्डर्ड चार्टर्ड बैंक की मुख्य कार्यपालक अधिकारी जरीन दारूवाला ने कहा कि आरबीआई ने नरम रुख बनाये रखने और अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करने के निर्णय के साथ आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी है।
पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी सीएच एसएस मल्लिकार्जुन राव ने कहा, ‘‘सतत और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि दर के लिये नरम रुख अगले वित्त वर्ष तक बनाये रखने का निर्णय किया गया है।’’
उन्होंने कहा कि कीमत के मोर्चे पर उपभोक्ता मूल्य सूचंकाक में तेजी को केंद्रीय बैंक ने स्वीकार किया है। आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो रही हैं, इससे मांग में वृद्धि हो सकती है।
इंडियन बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ पद्मजा चुंदरू ने कहा कि रेपो दर में बदलाव नहीं होने के बावजूद आरबीआई ने नरम रुख रखने के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये कदम उठाने की बात कही है।
बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ ए के दास ने कहा कि नीतिगत दर को स्थिर रखते हुए नरम रुख बनाये रखने का मकसद वित्तीय स्थिरता है।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरूआ ने कहा कि लंबे सय से मुद्रास्फीति दबाव के बीच नकदी निकालने का कोई उपाय नहीं करना और आथिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति दोनों अनुमानों को ऊपर की ओर संशोधित करना थोड़ा हैरान करने वाला है।
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