मुंबई, आठ दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर अनुमान को 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। हालांकि उसने साथ ही आगाह किया कि आर्थिक पुनरुद्धार अभी उतना मजबूत नहीं है, जिससे वह भरोसेमंद और आत्मनिर्भर हो।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के बाद अपने संबोधन में कहा कि भरोसेमंद, मजबूत और समावेशी पुनरुद्धार बनाये रखना केंद्रीय बैंक का मिशन है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने प्रयासों में दृढ़ बने रहने की आवश्यकता है। हमें अपने सामने आने वाली नई वास्तविकताओं के प्रति भी जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है। पिछले एक साल और नौ महीनों के हमारे प्रयासों ने हमें आत्मविश्वास दिया है और हम आगे आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।’’
दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार के रास्ते पर अपेक्षाकृत अच्छी स्थिति में है, लेकिन यह वैश्विक संकट या कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रोन समेत अन्य रूपों के संक्रमण के असर से बच नहीं सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए वृहत आर्थिक बुनियाद को मजबूत करना, हमारे वित्तीय बाजारों और संस्थानों को सुदृढ करना और भरोसेमंद तथा अनुकूल नीतियों को लागू करना इन अनिश्चित समय में सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।’’
दास के अनुसार विभिन्न सूचनाओं से यह संकेत मिल रहे हैं कि खपत मांग सुधर रही है। त्योहारों के दौरान दबी हुई मांग सामने आयी। गांवों में मांग में मजबूती दिख रही है और कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के मजबूत प्रदर्शन के साथ क्षेत्र में रोजगार बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि हाल में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क और राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) में कटौती से क्रय शक्ति बढ़ने के साथ खपत मांग को समर्थन मिलनी चाहिए।
दास ने कहा, ‘‘...वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.0 प्रतिशत रहने के साथ वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है।’’
वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 2022-23 की पहली तिमाही में 17.2 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित पुनरुद्धार फिर से गति पकड़ रही है लेकिन यह अभी आत्मनिर्भर और भरोसेमंद होने के लिहाज से मजबूत नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह नीतिगत समर्थन जारी करने के महत्व को बताता है।’’
दास ने यह भी कहा कि ओमीक्रोन के सामने आने और कई देशों में संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ परिदृश्य को लेकर जोखिम बढ़ा है।
उन्होंने यह भी कहा कि हाल में कुछ सुधार के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा और जिंसों के दाम में तेजी तथा विकसित देशों में मौद्रिक नीति के तेजी से सामान्य रास्ते पर लाये जाने के कदम से वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव की आशंका एवं लंबे समय से जारी वैश्विक आपूर्ति बाधाओं को देखते हुए चुनौतियां बनी हुई हैं।
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