मुंबई, छह दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक ने संभावित नकदी संकट को कम करने के लिए शुक्रवार को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.5 प्रतिशत की कटौती कर इसे चार प्रतिशत कर दिया। इससे बैंकों में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने चार मई 2022 को अचानक हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में सीआरआर को चार प्रतिशत से बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत कर दिया था।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि त्योहारों के दौरान मुद्रा के चलन में उल्लेखनीय वृद्धि तथा पूंजी निकासी के बावजूद उच्च सरकारी व्यय से अक्टूबर तथा नवंबर में नकदी समायोजन सुविधा (शुद्ध एलएएफ) के तहत शुद्ध स्थिति के हिसाब से बैंकों में नकदी अधिशेष में बनी रही।
उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में नकदी पर्याप्त बनी हुई है। लेकिन कर भुगतान, चलन में उपलब्ध मुद्रा में वृद्धि तथा पूंजी प्रवाह में अस्थिरता से आने वाले महीनों में बैंकों में नकदी कम हो सकती है।
दास ने कहा कि संभावित नकदी संकट को ध्यान में रखते हुए अब सभी बैंकों के सीआरआर को शुद्ध मांग एवं सावधि देयताएं (एनडीटीएल) यानी बैंकों के पास कर्ज देने के लिए मौजूद धनराशि के चार प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया गया है, जो 0.25 प्रतिशत की दो बराबर किस्तों में होगी। ये क्रमश: 14 दिसंबर 2024 और 28 दिसंबर 2024 से शुरू होने वाले पखवाड़े से प्रभावी होंगी।
इससे सीआरआर एनडीटीएल के चार प्रतिशत पर आ जाएगी, जो अप्रैल 2022 में नीति को कड़ा करने से पहले थी।
उन्होंने कहा, ‘‘ सीआरआर में यह कटौती तटस्थ नीति रुख के अनुरूप है और इससे बैंकों में करीब 1.16 लाख करोड़ रुपये की प्राथमिक नकदी उपलब्ध होगी।’’
दास ने कहा कि भविष्य में रिजर्व बैंक अपने नकदी प्रबंधन कार्यों में चुस्त तथा सक्रिय बना रहेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रा बाजार की ब्याज दरें व्यवस्थित तरीके से विकसित हों और अर्थव्यवस्था की आवश्यकताएं पूरी हों।
आरबीआई ने नीतिगत दरों के मोर्चे पर लगातार 11वीं बार यथास्थिति बनाए रखी है। रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रही। इसके साथ स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर कायम है।
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