
मुंबई, सात फरवरी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को बैंकों को बड़ी राहत देते हुए कहा कि नकदी कवरेज अनुपात (एलसीआर) के कार्यान्वयन को कम-से-कम एक साल के लिए टाल दिया जाएगा। उन्होंने इस चरणबद्ध तरीके से लागू करने का भरोसा भी दिलाया।
दिसंबर में आरबीआई गवर्नर बनने के बाद मल्होत्रा ने मीडिया के साथ अपनी पहली बातचीत में कहा कि वित्तीय स्थिरता महत्वपूर्ण है, लेकिन केंद्रीय बैंक संसाधनों का कुशल उपयोग करने के लिए विनियमन की लागत पर भी विचार करेगा।
पिछले गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्तीय स्थिरता पर ध्यान देने के साथ विनियामक कार्रवाई के मामले में अधिक सख्त रुख अपनाया था। बैंकों और कुछ विश्लेषकों का कहना था कि कि कई कदमों ने अर्थव्यवस्था में ऋण वृद्धि रोक दी है।
मल्होत्रा ने एक बयान में कहा, ''हम मानते हैं कि जिस तरह कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता, उसी तरह स्थिरता और उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ाने के लिए विनियमन भी लागत से रहित नहीं है... हम प्रत्येक विनियमन के लाभ और लागत को ध्यान में रखते हुए, सही संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे।''
एलसीआर के संदर्भ में गवर्नर ने कहा कि बैंकों के पास इस साल 31 मार्च तक इसे लागू करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है। ऐसी स्थिति में इसे कम-से-कम 31 मार्च 2026 से पहले लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बैंकों को कम से कम इतना समय देने की जरूरत है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भरोसा भी दिया कि एलसीआर ढांचे को चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा।
इसी तरह, एचडीएफसी बैंक या कोटक महिंद्रा बैंक जैसी प्रमुख संस्थाओं के खिलाफ उठाए गए कदमों पर नए गवर्नर ने कहा कि उनका मानना है कि ये अंतिम उपाय हैं।
उन्होंने कहा कि जब बाकी सभी उपाय विफल हो गए हों, तभी इनका इस्तेमाल करना चाहेंगे।
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