मुंबई, 17 अप्रैल भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए कई विनियामक और नकदी के उपायों की घोषणा की, जिसमें 50,000 करोड़ रुपये का लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ 2.0) शामिल है, जिसका इस्तेमाल पूरी तरह इस क्षेत्र को वित्त मुहैया कराने के लिए किया जाएगा।
इसके साथ ही आरबीआई ने एनबीएफसी को तीन महीने के लिए ऋण स्थगन का लाभ उठाने वाले सभी कर्जदारों के लिए ‘परिसंपत्ति वर्गीकरण विराम ’ अवधि को एक मार्च 2020 से बढ़ाकर 31 मई 2020 करने की सुविधा दी है।
इन फैसलों का मकसद कोविड-19 संबंधी चुनौतियों का सामना कर रही एनबीएफसी को राहत देना है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग के जरिए मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कुल 50,000 रुपये की राशि के लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ 2.0) के संचालन का निर्णय किया गया है।’’आरबीआई ने कहा कि यह राशि धीमे-धीमे जारी की जाएगी।
आरबीआई ने कहा कि टीएलटीआरओ 2.0 के तहत बैंकों को प्राप्त धनराशि को निवेश श्रेणी के बांड, वाणिज्यिक पत्रों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के गैर परिवर्तनीय ऋण पत्रों में निवेश किया जाना चाहिए, जिसमें कुल प्राप्त धनराशि में से कम से कम 50 प्रतिशत छोटे और मझोले आकार के एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) को मिलना चाहिए।
ये निवेश आरबीआई से नकदी मिलने के एक महीने के भीतर किया जाना चाहिए।
साथ ही इस सुविधा के तहत निवेशित राशि को बड़े एक्सपोजर फ्रेमवर्क के तहत नहीं माना जाएगा।
रिजर्व बैंक के ताजा फैसले के मुताबिक ने एनबीएफसी के गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) या फंसे हुए कर्ज की गणना देनदारी में चूक के 90 दिनों के बाद करने की मौजूदा नीति की जगह अब 180 दिन बाद की जाएगी।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि एनबीएफसी द्वारा रियल एस्टेट कंपनियों को दिए गए कर्ज पर भी उसी तरह के लाभ मिलेंगे, जैसे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिये गये कर्ज पर मिलते हैं।
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