एक नए शोध के मुताबिक बांग्लादेश का समुद्र स्तर वैश्विक औसत से 60 प्रतिशत अधिक तेजी से बढ़ रहा है. भविष्य में बांग्लादेश के तटीय क्षेत्रों के कम से कम दस लाख निवासियों के विस्थापित होने का खतरा है.बांग्लादेश की सरकारी संस्थानों के वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में तेजी से वृद्धि देश के घनी आबादी वाले तटों को बहुत तेजी से निगल रही है और इस स्थिति के कारण देश के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को नुकसान हो रहा है. उनका अनुमान है कि एक पीढ़ी के भीतर कम से कम दस लाख नागरिक विस्थापित हो जाएंगे.
बांग्लादेश के पर्यावरण विभाग के महानिदेशक अब्दुल हमीद ने मई महीने में एक रिपोर्ट में लिखा था, "कुछ देश बांग्लादेश की तरह जलवायु परिवर्तन के दूरगामी और विविध प्रभावों का अनुभव कर रहे हैं." तीन भागों वाले अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया कि इस दक्षिण एशियाई देश में समुद्र स्तर में वृद्धि वैश्विक औसत से 60 प्रतिशत अधिक है.
खतरे में तटीय इलाके
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) द्वारा एक चौथाई सदी में एकत्र किए गए सैटेलाइट डाटा के आधार पर किए गए इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बांग्लादेश के तटीय इलाकों में समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी की मौजूदा दर सबसे ज्यादा है.
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक सैफुल इस्लाम ने कहा कि बांग्लादेश में समुद्र के स्तर में औसत से अधिक तेजी से वृद्धि बर्फ के पिघलने, महासागरों के गर्म होने और हर मानसून में बंगाल की खाड़ी में बहने वाली विभिन्न नदियों के जलस्तर बढ़ने के कारण हो रही है.
इस्लाम ने कहा, "हाल के दशकों में वैश्विक समुद्र स्तर में प्रति वर्ष 3.7 मिलीमीटर की वृद्धि हुई है, जबकि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि हमारे तटों पर समुद्र के स्तर में प्रति वर्ष 4.2 मिलीमीटर से लेकर 5.8 मिलीमीटर तक की वृद्धि हुई है."
दरवाजे पर खतरा
वृद्धि छोटी लग सकती है, लेकिन बांग्लादेश के तटों पर रहने वाले लगभग दो करोड़ लोगों के मुताबिक आपदा भयानक लहरों के रूप में आती है.
अब्दुल अजीज भी उन्हीं लोगों में से एक हैं. पेशे से मछुआरे अजीज ने भी अपना घर खो दिया जब 2007 में चक्रवात ने बांग्लादेश को तबाह कर दिया था. उन्होंने अपना बचा हुआ खाना और सामान उठाया और तूफान से आधा किलोमीटर दूर एक नया ठिकाना बनाया. इस घटना के ठीक एक साल बाद समुद्र ने उस क्षेत्र को पूरी तरह निगल लिया जहां उनका पुराना घर था.
75 साल के हो चुके अजीज अपने डूब चुके पूर्व घर के ऊपर मछली पकड़ रहे हैं और पास में एक कंक्रीट तटबंध के दूसरी तरफ उनका एक नया घर है. गरजती हुई समुद्री लहरें भी इस तटबंध पर जोरदार प्रहार करती हैं.
अजीज ने अपने डूब चुके गांव की ओर इशारा करते हुए समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "मेरी जमीन पर पानी में मछलियां तैर रही हैं. हमें कहां शरण लेनी चाहिए."
खेत, घर और गांव डूब रहे
बांग्लादेश के अधिकांश तटीय इलाके समुद्र तल से केवल एक या दो मीटर ऊपर हैं और तूफान समुद्री पानी को अंदर तक ले जाते हैं. इस तरह से कुओं और झीलों का पानी खारा हो जाता है और उपजाऊ भूमि पर खड़ी फसलें नष्ट हो जाती हैं.
मिर्च, शकरकंद और चावल उगाने वाले 65 साल के किसान इस्माइल हल्दर ने कहा, "जब लहरें तेज उठती हैं तो समुद्र का पानी हमारे घरों और जमीन में घुस जाता है. पानी हमारे लिए नुकसान ही लेकर आता है."
रेस्तरां चलाने वाले 63 साल के शाह जलाल मियां कहते हैं कि हर साल समुद्र अधिक से अधिक जमीन निगल रहा है. उन्होंने कहा, "बहुत से लोग पहले ही बढ़ते समुद्र में अपने घर खो चुके हैं. अगर समुद्र तट नहीं होगा, तो कोई पर्यटक भी नहीं आएगा." उन्होंने कहा कि उन्होंने चक्रवातों और भीषण गर्मी को बदतर होते देखा है, जिसमें तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो जाता है.
मियां ने कहा, "हम अब हर साल दो, तीन या चार चक्रवातों का सामना कर रहे हैं. मैं तापमान को डिग्री में नहीं माप सकता, लेकिन सीधे शब्दों में कहें तो हमारा शरीर इसे सहन नहीं कर सकता."
जलवायु परिवर्तन का सीधा असर
बांग्लादेश में इसी साल अप्रैल देश के इतिहास में अब तक का सबसे गर्म महीना था. देश के मौसम विभाग के मुताबिक मई में आए तूफान में कम से कम 17 लोग मारे गए और 35,000 घर नष्ट हो गए. अधिकारियों के मुताबिक यह देश के इतिहास में सबसे तेज गति से चलने वाला और सबसे लंबे समय तक चलने वाला तूफान था. इन दोनों घटनाओं के लिए बढ़ते वैश्विक तापमान को जिम्मेदार ठहराया गया.
देश की राजधानी ढाका में ब्रैक यूनिवर्सिटी के अइनून निशात ने कहा कि सबसे गरीब लोग सबसे अमीर देशों के कारण कार्बन उत्सर्जन की कीमत चुका रहे हैं. उन्होंने कहा, "अगर अन्य देश विशेष रूप से अमीर देश पर्यावरण के लिए हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से लड़ने के लिए कुछ नहीं करते हैं, तो हम बांग्लादेश के लिए कुछ नहीं कर सकते."
उन्होंने कहा, "आपदाओं को रोकने के लिए बहुत देर हो चुकी है. हम बदलाव के लिए तैयार नहीं हैं."
एए/सीके (एएफपी)