जयपुर, 29 दिसंबर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि राज्य को अतिरिक्त जिले बनाने से लाभ हो सकता है।
गहलोत का यह बयान राज्य मंत्रिमंडल की शनिवार की बैठक में नौ जिलों के साथ ही तीन नये संभागों को भी खत्म करने के फैसले के एक दिन बाद आया है।
गहलोत ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘राजस्थान में और अधिक जिले बनाने की क्षमता है।’’
उन्होंने कहा ‘‘मेरा मानना है बहुत दुर्भाग्य पूर्ण निर्णय हुआ है… राजस्थान के हित में नहीं हुआ है..दीर्घकाल में भी उचित नहीं है.. मध्यप्रदेश हमसे छोटा राज्य है वहां पर 53 जिले हैं जबकि राजस्थान में अब केवल 41 हैं।’’
उन्होंने कहा कि छोटे जिले स्थानीय प्रशासन को सुव्यवस्थित करने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब जिला मुख्यालय 100-150 किलोमीटर दूर होते हैं, तो लोगों के लिए अधिकारियों से संपर्क करना मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि गंभीर अपराधों के मामले में भी न्याय मिलने में देरी होती है। यदि नये जिले बनाना इतना बुरा फैसला था, तो उन्होंने इसकी समीक्षा करने में पूरा एक साल क्यों लगा दिया?"
उन्होंने बताया कि जिलों की समीक्षा करने वाले अधिकारी ललित पंवार बाद में भाजपा में शामिल हो गए, जिससे इस निर्णय के पीछे राजनीतिक उद्देश्य का पता चलता है।
उन्होंने कहा, "अब कई नौकरशाह दावा कर रहे हैं कि नये जिले अव्यावहारिक थे, लेकिन भाजपा उसे एक ढाल के रूप में इस्तेमाल करके हम पर निशाना साध रही है, जबकि वह जानती है कि निर्णय सही था।’’
गहलोत ने इन आरोपों को खारिज किया कि नए जिलों की घोषणा चुनावों से पहले राजनीतिक लाभ के लिए की गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने नये जिले बनाने के लिए पूरी तैयारी की और नये जिले घोषित करने से पहले हमने राजस्व ग्राम बनाये। निर्णय जरूरी था।’’
वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने सेवानिवृत्त अधिकारी की समिति की रिपोर्ट आने से पूर्व ही केवल राजनीतिक दृष्टि से वोट की राजनीति के लिए आनन-फानन में 17 नये जिलों की घोषणा की थी। उन्होंने कहा, ‘‘इतना ही नहीं, गहलोत ने जिस दूदू को 3 माह पूर्व नगर पालिका बनाने की घोषणा की, उसे सिर्फ अपने चहेतों को खुश करने के लिए 3 माह के बाद जिला बना दिया।’’
चतुर्वेदी ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 5 साल तक सत्ता के संघर्ष में लगे रहे, अपनी सरकार बचाने के लिए होटलों के चक्कर लगाते रहे और चुनावी साल में आने वाली सरकार के लिए चुनौतियां खड़ी करने के लिए बिना किसी योजना के जिलों की घोषणा कर दी।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेता पिछले एक साल से जनता के बीच भ्रम फैलाने की राजनीति कर रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा सरकार लगातार एक के बाद एक संकल्प पत्र के वादों को पुरा करने में जुटी हुई है।
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