नयी दिल्ली, सात सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि देश में कोई बंधुआ मजदूर नहीं हैं और बंधुआ मजदूर के ‘‘बहाने’’ एक रैकेट चल रहा है।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह टिप्पणी उस महिला श्रमिक की ओर से दिवंगत सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिससे जम्मू के आरएस पुरा सब डिविजन में ईंट भट्ठा ठेकेदार के एक सहयोगी द्वारा कथित तौर पर बार-बार बलात्कार किया गया।
पीठ ने कहा, ‘‘क्या आप जानते हैं कि बंधुआ मजदूर कौन होते हैं? वे बंधुआ नहीं हैं। वे पैसे लेते हैं और वहां आते हैं और ईंट भट्टों की ओर से काम पर रखे जाते हैं। वे पिछड़े इलाकों से आते हैं। वे पैसे लेते हैं और पैसे खा जाते हैं और फिर काम छोड़ देते हैं। यह देश में एक रैकेट है। ये मजदूर केवल इस बंधुआ मजदूरी चीज का फायदा उठाते हैं।’’
जम्मू-कश्मीर की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और जांच शुरू कर दी गई। हालांकि, पीड़िता का पता नहीं चल पाया, जिसके कारण 2018 में मामला बंद हो गया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि कई पहलुओं का हवाला देते हुए एक विस्तृत जवाब दायर किया गया है और जम्मू कश्मीर प्रशासन आवश्यक होने पर कानून के तहत उपचारात्मक कदम उठाएगा।
2012 में दायर याचिका के अनुसार, महिला और उसके पति द्वारा जून में अपने मूल राज्य लौटने की इच्छा व्यक्त करने के बाद, ठेकेदार ने उन्हें तब तक छोड़ने से इनकार कर दिया जब तक कि वे उसे 3 लाख रुपये का भुगतान नहीं कर देते। याचिका के अनुसार हालांकि पति वहां से भागने में सफल रहा, लेकिन उसकी पत्नी और बच्चे को अवैध रूप से कैद करके रखा गया।
आरोप है कि अवैध कैद में रखे जाने के दौरान ठेकेदार और अन्य लोगों ने उसके साथ बार-बार बलात्कार किया।
दावा किया गया कि पीड़िता और उसके बेटे को बाद में एक एनजीओ और पुलिस के हस्तक्षेप पर एक पुनर्वास गृह में स्थानांतरित किया गया।
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