Farmers Protest: पंजाब सरकार का बड़ा फैसला, आंदोलन के दौरान मारे गये किसानों के परिवार के एक सदस्य को देगी नौकरी
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को राज्य से प्रत्येक उस किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की जिसकी केन्द्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मौत हुई है।
Farmers Protest: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने शुक्रवार को राज्य से प्रत्येक उस किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की जिसकी केन्द्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मौत हुई है. सिंह ने कहा कि उन्हें एक रिपोर्ट मिली है कि राज्य के 76 किसानों की अब तक मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा, ‘‘सभी पंजाबियों को दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हमारे किसानों की चिंता है. वे वहां उन कानूनों को निरस्त करने के वास्ते केंद्र को राजी करने के लिए बैठे हैं, जो हम लोगों को विश्वास में लिए बिना लागू किए गए थे.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘बहुत सारे लोग अपने बच्चों और नाती-पोतों के भविष्य के लिए (दिल्ली) की सीमाओं पर बैठे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘हम ठंड के कारण हर दिन अपने किसानों को खो रहे हैं, अब तक लगभग 76 किसानों की मौत हो चुकी है. सिंह ने अपने ‘फेसबुक लाइव आस्क कैप्टन सेशन’ के 20वें संस्करण के दौरान कहा कि आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उनके परिवारों को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जायेगी.उन्होंने कहा कि उनकी सरकार उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी देगी. मुख्यमंत्री ने कृषि कानूनों को लेकर ‘‘झूठ’’ फैलाने के लिए शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी (आप) की निंदा की और केन्द्र द्वारा कानूनों को निरस्त किये जाने से इनकार करने को ‘‘अमानवीय’’ बताया. यह भी पढ़े: Farmers Protest: सिंधु बॉर्डर पर धरने पर बैठे सोनीपत के किसान की मौत, परिजन बोले- ठंड लगने से गई जान
गौरतलब है कि केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसान कई सप्ताह से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं. सिंह ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘हम किसानों के साथ हैं और उनके साथ खड़े रहेंगे. कुछ किसानों और आंदोलन के समर्थकों को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के नोटिसों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक ‘‘गलत कदम’’ है और वह जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्री को इस बारे में पत्र लिखेंगे. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को इन कानूनों को वापस लेना चाहिए.
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