देश की खबरें | वास्तविक स्वामी का पता नहीं चलने पर भी कुर्क की जा सकती है संपत्ति: न्यायाधिकरण

नयी दिल्ली, 14 जनवरी आयकर विभाग बेनामी रोधी कानून के तहत उस स्थिति में भी किसी संपत्ति को कुर्क कर सकता है जब उस संपत्ति के वास्तविक मालिक की पहचान नहीं हुई हो, क्योंकि कानून में इस स्थिति से निपटने के लिए विशिष्ट प्रावधान हैं। बेनामी रोधी कानून से संबंधित न्यायाधिकरण ने यह बात कही।

बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध (पीबीबीटी) अधिनियम, 1988 के तहत स्थापित अधिकरण ने पिछले साल 26 नवंबर को आयकर विभाग की लखनऊ इकाई द्वारा जारी 2023 भूमि संपत्ति कुर्की आदेश को बरकरार रखा है।

कथित बेनामी संपत्ति मामला विभाग द्वारा लखनऊ स्थित तीन रियल्टी समूहों के परिसरों पर छापे मारे जाने के बाद सामने आया था। इन समूहों ने ‘‘काकोरी (लखनऊ जिला) क्षेत्र में बड़े भूखंड बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी का भुगतान करके खरीदे थे।’’

विभाग की लखनऊ स्थित बेनामी निषेध इकाई (बीपीयू) ने अक्टूबर 2023 में काकोरी में 3.47 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की पांच भूमि कुर्क करने और उन्हें ‘बेनामी संपत्ति’ के रूप में वर्गीकृत करने का अनंतिम आदेश जारी किया था।

इस आदेश को न्यायाधिकरण को पुष्टि के लिए भेजा गया था, जिसमें एक ‘बेनामीदार’ (जिसके नाम पर बेनामी संपत्ति है) के नाम के अलावा दो कंपनियों और दो व्यक्तियों का नाम भी शामिल था, जिन्हें मामले में ‘हितधारक’ के रूप में नामित किया गया था।

अनंतिम आदेश में किसी भी लाभार्थी स्वामी के नाम का उल्लेख नहीं किया गया था।

आम तौर पर, जब बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध (पीबीपीटी) अधिनियम, 1988 के तहत आयकर विभाग द्वारा संपत्ति की कुर्की का आदेश जारी किया जाता है, तो उस पर ‘बेनामीदार’ और ‘लाभार्थी स्वामी’ का नाम होता है।

‘बेनामी’ संपत्ति का वास्तविक लाभार्थी वह नहीं होता जिसके नाम पर इसे खरीदा गया हो। अधिकरण ने कहा कि वह आयकर कुर्की आदेश (कुल 3.47 करोड़ रुपये में से 3.10 करोड़ रुपये की संपत्ति) की आंशिक पुष्टि कर रहा है।

अधिकरण ने कहा कि एक्सेला नामक रियल एस्टेट कंपनी में ‘ऑफिस ब्वॉय’ रवि कुमार इस मामले में ‘बेनामीदार’ था।

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