नयी दिल्ली, 3 नवंबर: राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की शुक्रवार को यहां बैठक हुई जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के नेता राघव चड्ढा समेत कुछ सांसदों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की लंबित शिकायतों पर चर्चा की गई. सूत्रों ने कहा कि समिति ने चड्ढा से सात नवंबर तक रिपोर्ट मांगी है और समिति के सदस्य इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आठ नवंबर को फिर बैठक करेंगे.
उन्होंने बताया कि संसद भवन एनेक्सी में हुई इस बैठक के दौरान समिति के सदस्यों ने सभी लंबित मामलों पर चर्चा की. एक सूत्र ने कहा, ‘‘समिति ने राघव चड्ढा से सात नवंबर तक रिपोर्ट मांगी है क्योंकि आठ नवंबर को उसकी फिर से बैठक होनी है.’’ समिति सांसद राघव चड्ढा, संजय सिंह और डेरेक ओ ब्रायन के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की शिकायतों के लंबित मामलों को देख रही है.
संजय सिंह आप के जबकि डेरेक तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं.
सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान सदस्यों ने विशेषाधिकार हनन के मामलों में समिति की रिपोर्ट को तेजी से आगे बढ़ाने और उसे अंतिम रूप देने की मांग की. इसके बाद रिपोर्ट को राज्य सभा के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा. संयोग से चड्ढा और सिंह दोनों फिलहाल सदन से निलंबित हैं. चड्ढा 11 अगस्त से निलंबित हैं क्योंकि कुछ सांसदों ने उन पर उनकी सहमति के बिना एक प्रस्ताव में उनके नाम जोड़ने का आरोप लगाया था. आरोप लगाने वाले सांसदों में अधिकांश सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं. प्रस्ताव में विवादास्पद दिल्ली सेवा विधेयक की जांच के लिए प्रवर समिति के गठन की मांग की गई थी.
समिति की बैठक आप नेता चड्ढा द्वारा दायर एक मामले में उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में हुई. शीर्ष अदालत ने चड्ढा से कहा है कि वह प्रवर समिति के मुद्दे पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से बिना शर्त माफी मांगें और उम्मीद जताई कि धनखड़ इस मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि वह दिवाली की छुट्टियों के बाद इस मामले के घटनाक्रम से उसे अवगत कराये.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सांसद को इस मुद्दे पर बिना शर्त माफी मांगने के लिए राज्यसभा के सभापति से मिलना होगा. अदालत ने कहा कि उपराष्ट्रपति इस पूरे मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर सकते हैं और इस संबंध में आगे कदम उठा सकते हैं. इससे पहले, चड्ढा के निलंबन पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि किसी सांसद के अनिश्चितकालीन निलंबन से लोगों के अपनी पसंद के व्यक्ति द्वारा प्रतिनिधित्व करने के अधिकार पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं. पीठ ने यह भी पूछा कि क्या विशेषाधिकार समिति चड्ढा को राज्यसभा से अनिर्दिष्ट अवधि के लिए निलंबित करने का आदेश दे सकती है.
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