मुंबई, 17 फरवरी केंद्रीय बजट में पूंजी व्यय पर जोर से निजी निवेश बढ़ने की उम्मीद है और इससे जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष में सात प्रतिशत के करीब रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारतीय रिजर्व बैंक के एक लेख में यह संभावना जताई गई है।
वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में पूंजीगत व्यय 10 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा गया है जो जीडीपी का 3.3 प्रतिशत है।
रिजर्व बैंक के फरवरी 2023 बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाशित लेख में कहा गया है, ‘‘हमारा मानना है कि भारत की स्थिति वृहत आर्थिक अनुमान से अलग होगी और दुनिया के अन्य भागों से भी यह हटकर होगी।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘हमारे विचार से इसे अलग करने वाली चीज केंद्रीय बजट है। इससे 2023-27 के दौरान भारत की वृद्धि संभावना बढ़ी है।’’
लेख के मुताबिक, केंद्रीय बजट में कर, पूंजीगत व्यय और राजकोषीय मजबूती के प्रस्तावों को अगर सही तरीके से क्रियान्वित किया गया तो भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर (स्थिर मूल्य पर) 2023-24 में सात प्रतिशत के करीब होगी।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने यह लेख लिखा है। इसके मुताबिक, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में पूंजी व्यय पर जोर दिया गया है। इससे निजी निवेश को गति मिलने, रोजगार सृजन तथा मांग बढ़ने और भारत की वृद्धि संभावना बढ़ने की उम्मीद है।’’
बजट से एक दिन पहले संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
हालांकि आरबीआई ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘देश में घरेलू खपत और निवेश को कृषि और संबद्ध गतिविधियों में मजबूती, ग्राहकों में भरोसा और कर्ज में अच्छी वृद्धि से से लाभ होने की उम्मीद है।’’
लेख के अनुसार हालांकि जनवरी में मुद्रास्फीति बढ़ी है, आपूर्ति और लागत के मोर्चे पर स्थिति सुधरने की उम्मीद है।
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