नयी दिल्ली, 30 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये खदानों और कोयला क्षेत्रों में संभावित आर्थिक सुधारों पर चर्चा के लिये बृहस्पतिवार को एक बैठक में "विस्तृत" चर्चा की।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, बैठक में पारदर्शी और कुशल प्रक्रियाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने के लिये घरेलू स्रोतों से खनिज संसाधनों की आसान और प्रचुर मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने, उत्खनन तेज करने, निवेश आकर्षित करने और आधुनिक प्रौद्योगिकी पर ध्यान देने के बारे में चर्चा की गयी।
शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई इस बैठक में प्रधान मंत्री ने खनिजों के उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता और देश में ही उनके प्रसंस्करण में सुधार पर विशेष जोर दिया।
बैठक में अतिरिक्त खानों की नीलामी, नीलामी में व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहन, खनिज संसाधनों के उत्पादन में वृद्धि और खनन तथा परिवहन की लागत में कमी लाने पर भी चर्चा की गयी।
बातचीत के दौरान कारोबार सुगमता को बढ़ाने के साथ ही पर्यावरणीय लिहाज से टिकाऊ विकास और कार्बन उत्सर्जन (फुटप्रिंट) को कम करने के उपायों को भी उठाया गया।
बयान के अनुसार, नीलामी संरचना में सुधार, कुशल संस्थागत व्यवस्था, अन्वेषण और खनन में निजी क्षेत्र की भागीदारी, सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के साथ-साथ खनिज विकास निधि के माध्यम से सामुदायिक विकास गतिविधियों को व्यापक आधार देने के मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में घरेलू आपूर्ति के लिए समुद्री मार्गों के उपयोग सहित खनिजों की निकासी के बुनियादी ढांचे में विस्तार और सुधार पर भी विचार किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रोजगार के अवसर बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि को तेज करने में खनन क्षेत्र के योगदान की समीक्षा भी की।
उन्होंने यह भी कहा कि खनिज क्षेत्र को अपना परिचालन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना चाहिये। उन्होंने खदान क्षेत्र के प्रतिनिधियों को एक कार्य योजना तैयार करने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री ने कुशल खनन के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये निजी निवेश में वृद्धि की मंजूरी प्राप्त करने में लगने वाले समय को कम करना और राज्यों के साथ साझेदारी करना उद्देश्य होना चाहिये।
उन्होंने इस बारे में भी निर्देश दिये कि देश में इस साल कोयले का विपुल भंडार उपलब्ध होने की स्थिति को देखते हुये ताप कोयला आयात प्रतिस्थापन का लक्ष्य होना चाहिये।
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