कोरोना से लोगों का जीवन बचाने के लिए पीएम मोदी ने चिकित्सकों के प्रयासों की सराहना की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण से लोगों का जीवन बचाने के लिए चिकित्सकों के योगदान की सराहना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी सरकार ने देश में मजबूत चिकित्सा बुनियादी ढांचा विकसित करने पर सबसे अधिक जोर दिया है.
नयी दिल्ली, एक जुलाई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण से लोगों का जीवन बचाने के लिए चिकित्सकों के योगदान की सराहना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी सरकार ने देश में मजबूत चिकित्सा बुनियादी ढांचा विकसित करने पर सबसे अधिक जोर दिया है. राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की ओर से आयोजित एक समारोह में देश के चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में जितनी चुनौतियां आईं, देश के चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने उतने ही समाधान तलाशे और प्रभावी दवाइयां बनाईं. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत कोरोना वायरस से जीतेगा और विकास के नये आयाम भी हासिल करेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी एक जीवन का असमय समाप्त होना भी दुखद है किंतु भारत ने कोरोना से लाखों लोगों का जीवन बचाया है और इसका बहुत बड़ा श्रेय देश के चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों को जाता है. पिछले लगभग डेढ़ साल से कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों के योगदान की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कोरोना से लड़ाई में जितनी चुनौतियां आईं, हमारे चिकित्सक और वैज्ञानिकों ने उतने ही समाधान तलाशें और प्रभावी दवाइयां बनाईं.’’
उन्होंने कहा कि यह वायरस नया है और यह नये-नये स्वरूप भी ले रहा है किंतु चिकित्सकों की जानकारी और उनके अनुभव वायरस के खतरों और चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने भरोसा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘हमारा देश कोरोना से जीतेगा और विकास के नये आयाम भी हासिल करेगा.’’ उन्होंने चिकित्सक समुदाय से कोरोना संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करने और टीकाकरण अभियान में और अधिक सक्रियता से भूमिका निभाने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘‘आप अपनी इस भूमिका को और सक्रियता से निभाएं तथा अपना दायरा और ज्यादा बढ़ाएं.’’
पिछली सरकारों पर बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे को अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश पर जिस तरह का जनसंख्या का दबाव है वह कोविड-19 की ताजा चुनौती को और कठिन बना देता है. उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना के दौरान यदि हम प्रति लाख जनसंख्या के हिसाब से संक्रमण को देखें या मृत्यु दर को देखें तो भारत की स्थिति बड़े-बड़े विकसित और समृद्ध देशों की तुलना में कहीं संभली हुई रही है.’’
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उन्होंने दावा किया, ‘‘यह हमारी सरकार ही है जिसने स्वास्थ्य ढांचे पर सबसे अधिक बल पिछले सालों में दिया है. इस साल स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट का आवंटन दोगुने से भी ज्यादा यानी दो लाख करोड रुपये से भी अधिक किया गया. अब हम ऐसे क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की एक क्रेडिट गारंटी योजना लेकर आए हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है.’’ उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 तक जहां देश में केवल छह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) थे वहीं पिछले सात सालों में 15 नए एम्स का काम शुरू हुआ है और चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या में डेढ़ गुना की वृद्धि हुई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान चिकित्सकों को बहुत संघर्ष करने के बाद आज की स्थिति में पहुंचना पड़ा किंतु भावी पीढ़ी को अब वह कठिनाइयां नहीं उठानी पड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘अब दूर सुदूर क्षेत्रों में भी हमारे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को डॉक्टर बनने का अवसर मिलेगा. उनकी प्रतिभा को... उनके सपनों को नयी उड़ान मिलेगी.’’
चिकित्सकों की सुरक्षा को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए पिछले वर्ष कानून में कई कड़े प्रावधान किए हैं. प्रधानमंत्री ने चिकित्सकों से योग को और अधिक प्रचारित और प्रसारित करने की अपील करते हुए कहा कि चिकित्सकों को कोरोना काल के अपने अनुभवों के बारे में दस्तावेज तैयार करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को इसका लाभ मिले और दुनिया को चिकित्सा से जुड़े कई जटिल समस्याओं का समाधान मिले. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा किया जाता है तो वह भविष्य में पूरी मानवता के लिए मददगार साबित होगा. उन्होंने योग के बारे में जागरूकता का प्रचार करने के लिए भी चिकित्सा समुदाय की सराहना की और कहा कि योग के प्रचार-प्रसार का कार्य अब किया जा रहा है, जबकि यह कार्य आजादी के बाद पिछली शताब्दी में ही किया जाना चाहिए था.
उन्होंने कोविड के बाद की जटिलताओं से निपटने के लिए योग के लाभ के बारे में साक्ष्य-आधारित अध्ययनों के लिए अपना समय देने के लिए भी डॉक्टरों की प्रशंसा की और आईएमए योग पर साक्ष्य-आधारित अध्ययन करने का आह्वान किया. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि योग पर किये गए अध्ययन अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किये जा सकते हैं. ज्ञात हो कि हर साल एक जुलाई को देश भर में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है. इसी दिन देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय का जन्मदिन और पुण्यतिथि होती है. यह दिन उन्हीं की याद में मनाया जाता है.
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